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पुलिस और जवाहर बाग में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा जमाए बैठे लोगों के बीच गुरुवार (2 जून) को यहां हुए जबर्दस्त संघर्ष में एक पुलिस अधीक्षक और एक थाना प्रभारी सहित 24 लोग मारे गए हैं। स्वाधीन भारत सुभाष सेना नाम के जिस संगठन ने अतिक्रमण कर रखा है, उसने सत्याग्रह करने के लिए एक दिन के लिए जमीन ली थी। लेकिन दो साल बाद भी वे वहीं पर जमे हुए हैं। ये लोग खुदको सुभाषचंद्र बोस का अनुयायी कहते हैं।
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इनकी मांग काफी अजीबोगरीब हैं। इनका कहना है कि पेट्रोल और डीजल की कीमत एक रुपए लीटर की जाए। देश में सोने के सिक्कों का प्रचलन किया जाए। आजाद हिंद फौज के कानून माने जाएं। इसी की सरकार देश में शासन करे। जयगुरुदेव का मृत्यु प्रमाण पत्र दिया जाए। आजाद हिंद बैंक करेंसी से लेन-देन शुरू की जाए।
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जिस जमीन पर इन लोगों ने कब्जा कर रखा है वह छोटी मोटी नहीं बल्कि पूरे 260 एकड़ है। इस जगह को खाली करवाने के बाद 320 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और भारी मात्रा में गोला-बारूद भी बरामद किए।
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उपद्रवियों का नारा है, ‘आजाद हिंद बैंक करेंसी से लेन-देन करना होगा, नहीं तो भारत छोड़ना होगा।’ इन लोगों का मुखिया रामवृक्ष यादव नाम के शख्स को बताया जा रहा है। रामवृक्ष यादव बाबा जयगुरुदेव का शिष्य रह चुका है। जयगुरुदेव की मृत्यु के बाद इन लोगों ने उनके उत्तराधिकारी बनने का दावा किया। जब इन्हें यह अधिकार नहीं मिला तो इन्होंने अलग से गुट बना लिया।
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घटना के बाद अखिलेश यादव ने घटना में शहीद थानाध्यक्ष के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए उनके परिजनों को 20 लाख रूपये की आर्थिक सहायता का ऐलान किया है।
वहीं इस घटना के बाद सबसे हैरानी वाली बात यह थी कि वहां की सांसद इतनी बड़ा घटना से अनजान थीं और लोगों के दुख को बांटने की जगह अपनी फिल्म के शूट की फोटो शेयर कर रही थीं। -
वहीं, इस मामले पर केंद्र ने उत्तर प्रदेश सरकार से घटना पर रिपोर्ट मांगी है तथा केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यादव से बात की और उन्हें सभी आवश्यक मदद मुहैया कराने का आश्वासन दिया।