उत्तर भारत के राज्य पंजाब में हर साल 13 अप्रैल के दिन प्रत्येक परिवार के सदस्य वैशाखी पर्व मनाते हैं। पंजाब में यह त्योहार खेतों में फसल पकने की खुशी में मनाया जाता है, जिसे विशेष तौर पर सिक्ख समुदाय के लोग मनाते हैं। (Express photo) भविष्य पुराण, आदित्य पुराण में वैशाखी पूर्णिमा को अत्यंत पवित्र एवं फलदायी माना गया है। इस दिन पिछले एक महीने से चला आ रहा वैशाख स्नान एवं विशेष धार्मिक अनुष्ठानों की पूर्ण आहूति की जाती है। मंदिरों में हवन-पूजन के बाद वैशाखी कथा की जाती है। (Express photo) वैशाखी के दिन सिक्ख समुदाय के लोग नदियों एवं पवित्र सरोवरों में स्नान के बाद सभी गुरुद्वारों में गरीबों को दान दिया करते हैं। साथ ही लंगर लगाए जाते हैं। आज के दिन किसान अपने फसल खास तौर पर गेहूं को ‘कनक’ यानि सोना मानते हैं। -
इस दिन सिक्ख परिवार के बड़ों से लेकर बच्चे भी पारंपरिक वस्त्र धारण करते हैं। (PTI Photo)
पंजाब की पंकी फसलों के बीच Selfie लेतीं सिक्ख समुदाय की युवतियां। (PTI Photo) -
बता दें कि आज का दिन न सिर्फ फसल के लिए बल्कि सिखों के गुरु गोविंद सिंह जी के किए विशेष काम के लिए भी जाना जाता है। यह 1699 ई की बात है जब वैशाखी श्री आनंदपुर साहिब में विशेष समागम की तैयारी की गई क्यों की गुरु गोविंद सिंह जी वैशाखी के दिन को और खास बनना चाहते थे। (mygodpictures Photo)
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इस मौके पर गुरु गोविंद सिंह ने देश को गुलामी से आजाद करने के लिए एक सर मंगा। वहीं एक का नाम लेते ही उनके सामने 5 वीर अपना सिर देने के लिए गुरू गोविंद के सामने आ गए। (Express photo)
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आपको बता दें की पांचो दया सिंह खत्री, धर्म सिंह जट, मोहकम सिंह छीवां, साहिब सिंह और हिम्मत सिंह ने अपने अपने सरो को गुरु के सामने भेंट कर दिए। यही वजह है कि वैशाखी पर्व को विशेष रूप से मनाया जाता है। (eXPRESS pHOTO)
