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जानवरों की दुनिया में कई ऐसे जीव मिलते हैं जो अपनी खास आदतों और व्यवहार से हैरान कर देते हैं। लेकिन एक छोटा-सा जीव ऐसा भी है जो आराम को एक अलग ही स्तर पर ले जाता है—घोंघा (Snail)। (Photo Source: Pexels)
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माना जाता है कि यह जीव जरूरत पड़ने पर लगातार तीन साल तक सो सकता है! सुनकर हैरानी होती है, लेकिन यह सिर्फ आलस नहीं बल्कि जीवित रहने की एक बेहद अनोखी रणनीति है। (Photo Source: Pexels)
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चलिए जानते हैं कैसे घोंघा इतना लंबा समय सो सकता है, उसके शरीर में क्या खास होता है और क्यों ये जीव प्रकृति के सबसे दिलचस्प प्राणियों में शामिल है। (Photo Source: Pexels)
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क्यों सोते हैं घोंघे इतने लंबे समय तक?
घोंघा अपना भोजन, पानी और शरीर की नमी के आधार पर सक्रिय रहता है। लेकिन जब मौसम बहुत ज्यादा ठंडा हो जाए या तापमान इतना बढ़ जाए कि नमी खत्म होने लगे, तब घोंघा अपने आप को खतरे से बचाने के लिए गहरी नींद में चला जाता है। (Photo Source: Pexels) -
दो तरह की लंबी नींद:
हाइबरनेशन (Hibernation): ठंड के मौसम में जब तापमान बहुत नीचे चला जाता है, तब घोंघा अपने शरीर की ऊर्जा बचाने के लिए गहरी नींद में चला जाता है। (Photo Source: Pexels) -
एस्टीवेशन (Estivation): जब गर्मी अत्यधिक हो और वातावरण में नमी न मिले, तब घोंघा खुद को सूखने से बचाने के लिए महीनों तक सो सकता है। (Photo Source: Pexels)
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इन दोनों स्थितियों में घोंघा अपने खोल के अंदर गहराई तक सिमट जाता है और एक खास प्रकार की म्यूकस परत (Epiphragm) बनाकर उसका मुंह सील कर देता है। (Photo Source: Pexels)
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यह परत उसे नमी खोने, शिकारी जीवों और कठोर मौसम से बचाती है। हालांकि तीन साल लगातार सोना हर घोंघे के लिए सामान्य नहीं है, लेकिन अत्यधिक खराब परिस्थितियों में ऐसा संभव है। (Photo Source: Pexels)
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घोंघा कैसे बचाता है खुद को?
घोंघा अपनी ऊर्जा बहुत धीमी गति से खर्च करता है। लंबे समय तक बिना खाए-पिए रह सकता है। म्यूकस सील उसे सूखने से बचाती है। मौसम अनुकूल होते ही वह अपने खोल से बाहर आकर फिर से सक्रिय हो जाता है। इस क्षमता के कारण घोंघा प्रकृति का सबसे धैर्यवान और अनोखा प्राणी माना जाता है। (Photo Source: Pexels)
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