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सनातन धर्म में देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है। इस वर्ष यह पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा। यह दिन चातुर्मास के समाप्ति का प्रतीक है और माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं। इस दिन से शुभ कार्यों का आरंभ किया जा सकता है, जैसे शादी, गृह प्रवेश, और अन्य मांगलिक कार्य। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और सच्चे मन से की गई पूजा जीवन के कष्टों को दूर कर खुशियां लाती है। हालांकि, देवउठनी एकादशी पर कुछ विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है ताकि मां लक्ष्मी प्रसन्न रहें और आशीर्वाद प्रदान करें। चलिए जानते हैं कि इस दिन कौन-कौन से कार्य करने से बचना चाहिए:
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तामसिक भोजन का सेवन न करें
इस दिन तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, और लहसुन-प्याज का सेवन न करने की परंपरा है। माना जाता है कि एकादशी का व्रत रखने वालों को तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए, ताकि मन शुद्ध रहे और ध्यान भगवान की ओर केंद्रित हो। (Photo Source: Pexels) -
चावल का सेवन न करें
देवउठनी एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चावल खाने से व्रत खंडित हो सकता है और इसका अशुभ प्रभाव जीवन पर पड़ सकता है। (Photo Source: Pexels) -
तुलसी के पत्ते न तोड़ें
देवउठनी एकादशी पर तुलसी के पत्ते को न तोड़ें, क्योंकि मां लक्ष्मी एकादशी का व्रत रखती हैं। व्रत के दौरान तुलसी के पत्ते तोड़ने से व्रत भी खंडित होता है। (Photo Source: Pexels) -
विवाद और कलह से बचें
इस दिन घर में किसी भी तरह के वाद-विवाद और कलह से दूर रहें। खासतौर पर, घर के बुजुर्गों और महिलाओं का सम्मान करें। माता लक्ष्मी के आशीर्वाद के लिए सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाए रखें। (Photo Source: Pexels) -
धन की बर्बादी न करें
इस दिन धन का अपव्यय और फिजूलखर्ची वर्जित मानी जाती है। देवी लक्ष्मी वहीं निवास करती हैं जहां धन का सदुपयोग किया जाता है, इसलिए इस दिन धन का प्रबंधन सावधानी से करें। (Photo Source: Pexels) -
घर को साफ-सुथरा रखें
घर की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें। माना जाता है कि माता लक्ष्मी का वास स्वच्छ स्थान पर ही होता है, इसलिए घर को व्यवस्थित और साफ-सुथरा रखें ताकि शुभता का प्रवाह बना रहे। (Photo Source: Pexels)
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