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भारत का मुख्य लड़ाकू विमान सुखोई 30 आज तकनीकी खराबी के चलते असम के नौगांव जिले में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हालांकि विमान में सवार दोनों पायलट और हथियार प्रणाली संचालक सकुशल विमान से बाहर निकलने में सफल रहे। रूस से प्राप्त लाइसेंस के तहत विनिर्मित इस श्रेणी के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की वर्ष 2009 के बाद से यह छठी घटना है। (स्रोत-पीटीआई)
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हादसा दोपहर में करीब साढ़े 12 बजे तेजपुर से 36 किलोमीटर दूर लाउखोवा में हुआ। एसयू 30 विमान ने तेजपुर एयरफोर्स स्टेशन से नियमित अभ्यास के लिए करीब 12 बजकर 17 मिनट पर उड़ान भरी थी। वायुसेना द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, ‘‘उड़ान भरने के बाद, विमान में तकनीकी खराबी आ गयी और चालकों को विमान को छोड़ना पड़ा। दोनों पायलट सुरक्षित बाहर निकल गए।’’ (स्रोत-पीटीआई)
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पायलटों के बाहर निकलने के बाद विमान तेजपुर के समीप घने जंगल में साढ़े 12 बजे गिर कर नष्ट हो गया। बयान में बताया गया है कि हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए कोर्ट आफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए गए हैं। इससे पूर्व पिछले वर्ष अक्तूबर में पुणे के समीप सुखोई विमान हादसे का शिकार हुआ था। उस हादसे की कोर्ट ऑफ इंक्वॉयरी रिपोर्ट अभी आना बाकी है। (स्रोत-पीटीआई)
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रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने मार्च में सुखोई विमानों के साथ समस्याओं की बात को स्वीकार किया था।पर्रिकर ने कहा था कि रशियन ओरिजिनल इक्वूपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (ओईएम) ने तकनीकी मुद्दों के समाधान के लिए कई उपाय बताए थे। (स्रोत-पीटीआई)
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उन्होंने कहा था, ‘‘ओईएम ने नए विमानों के उत्पादन में नौ सुधारों की पेशकश की थी।’’ उन्होंने बताया कि भारतीय वायुसेना ने संचालनात्मक इस्तेमाल के लिए विमानों की उपलब्धता में सुधार के लिए रूसी ओईएम के साथ एक दीर्घकालिक मरम्मत समझौते को अंतिम रूप दिया गया है। पर्रिकर ने बताया था कि नयी तकनीक के साथ 25 नए इंजन रूस से हासिल किए गए हैं। (स्रोत-पीटीआई)
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इन विमानों में तकनीकी समस्या की 69 घटनाओं का विश्लेषण दर्शाता है कि 33 मामलों में इस प्रकार की घटनाएं तेल और इंजन के बेयरिंग में कंपन के कारण हुई थीं। 11 मामलों में लुब्रिकेटिंग ऑयल में कम दबाव मुख्य कारण था जबकि आठ मामलों में कुछ अन्य कारण जिम्मेदार थे। इस संबंध में रूस के साथ व्यापक विचार विमर्श हुआ है और बेहतर गुणवत्ता का इंजन आयल लिया गया है। (स्रोत-पीटीआई)
