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स्पेन से आए टेल्गो ट्रेन के डब्बों का ट्रायल भारतीय पटरी पर कर लिया गया है। यह ट्रायल इस बात को जांचने के लिए था कि कहीं भारतीय पटरी पर इन डब्बों में ज्यादा कंपन तो नहीं होता। बरेली से मुरादाबाद के बीच किए गए इस ट्रायल में ट्रेन की रफ्तार को 80-115 के बीच रखा गया था। अब जानिए इस ट्रायल और ट्रेन में क्या खास है-
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फिलहाल ट्रेन के जिन 9 डिब्बों का ट्रायल किया गया है उन्हें टेल्गो कंपनी ने भारत में अपने पैसे पर भेजे। इस ट्रायल के लिए टेल्गो की तरफ से भारत से कोई पैसा नहीं लिया गया। (Photo: ANI)
ट्रेन को भारतीय रेल के इंजन से ही दौड़ाया गया था। ट्रायल के वक्त ट्रेन में रेत की बोरियां भर दी गई थीं। यह ट्रायल 90 किलोमीटर की इस लाइन पर 2 हफ्तों तक किया जाता रहेगा। (Photo: ANI) इसके बाद 40 दिनों तक इसको मथुरा और पलवल वाले राजधानी के रूट पर दौड़ाकर देखा जाएगा। तब इसकी स्पीड को 180 किलोमीटर प्रतिघंटा रखा जाएगा। (Photo: ANI) -
रेलवे मंत्री सुरेश प्रभु ने बताया था कि टेल्गो ट्रेन के ट्रायल का मकसद दिल्ली-मुंबई के बीच लगने वाले समय में 5 घंटे की कटौती करना है। टेल्गो ने प्रयोग के लिए अपने कोच मुहैया कराए हैं।
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अगर टेल्गो ट्रेन वर्तमान पटरियों में बिना बदलाव किए 160-200 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चलने में सफल रही तो दिल्ली-मुंबई का सफर 12 घंटे में पूरा हो जाएगा। वर्तमान में इस सफर में 17 घंटे लगते हैं। (Photo: Talgo)
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सफर के समय में कमी के साथ ही टेल्गो के हल्के डिब्बे 30 प्रतिशत कम ऊर्जा लेते हैं। इससे रेलवे का खर्चा भी कम होगा। टेल्गो का दावा है कि उसके कोच मोड़ पर भी तेज रफ्तार से चल सकते हैं। इसके सीटें भी हवाई-जहाज की सीटों जैसी लगती हैं। (Photo: Talgo)
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वर्तमान में टेल्गो ट्रेन एशिया और अमेरिका में कई जगहों पर चल रही है। छोटे-मोटे बदलावों को छोड़कर ट्रायल रन के दौरान पटरियों में कोई बदलाव नहीं होगा। (Photo: Talgo)