उत्तर प्रदेश की राजनीति हमेशा से दिलचस्पल रही है। जहां एक तरफ भाई-भतीजावाद की राजनीति देखने को मिलती है तो वहीं दूसरी तरफ ऐसी भी राजनीति देखने को मिलती है जहां पिछड़ो को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। आम भाषा में कहें तो चुनाव आते ही राजनीतिक दलों में तालमेल बैठाना शुरु कर दिया जाता है। कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश वो जगह है जहां से केंद्र में जाने का रास्ता तय होता है या फिर यूं कहें कि यूपी देश की राजनीति का स्तंभ है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के संस्थापक ओम प्रकाश राजभर ऐसे राजनेता हैं जिन्होंने टैंपो चालक से उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री तक का सफर तय किया है। कभी बीजेपी के समर्थक रहे ओपी राजभार ने मतभेदों के कारण अपना समर्थन वापस ले लिया था। ऐसे में वो एक बार फिर चुनाव में अपनी पार्टी को पूर्ण बहुमत दिलाने की तैयारियों में जुटे हैं। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के संस्थापक ओम प्रकाश राजभर एक वक्त पर टैंपो चालक हुआ करते थे। उन्होंने टैंपो चालक से उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री तक का सफर तय किया है। उनकी पहचान पिछड़ी जाती के नेता के तौर पर की जाती है। ओम प्रकाश राजभर एक समय पर बसपा के साथ जुड़े थे। साल 1995 में उन्होंने अपनी पत्नी राजमति राजभर को वाराणसी जिला पंचायत में सदस्य बनाया था। वहीं बसपा छोड़ने के बाद ओम प्रकाश राजभर अपना दल से जुड़े और युवा मंच के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे। ओम प्रकाश राजभर ने साल 2002 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का गठन किया था। राजभर की पहचान ओबीसी नेता के तौर पर होती है। अति पिछड़ी जातियों में राजभर की पकड़ को देखते हुए 2017 विधानसभा में बीजेपी ने इनके साथ समझौता किया था। तय हुए समझौते के तहत भाजपा ने राजभर को आठ सीटें दी थी। साल 2017 में ओम प्रकाश राजभर पहली बार विधायक चुने गए थे। विधायक चुने जाने के बाद ओम प्रकाश राजभर को कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया था। वहीं 2019 लोकसभा चुनाव में राजभर ने 39 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। जिसके बाद बीजेपी से उनकी दूरियां बढ़ गई। इसके बाद वो लगातार बीजेपी के खिलाफ बयानबाजी करते देखे जाने लगे थे। इसके बाद बीजेपी से उनका गठबंधन टूट गया था। एक बार फिर उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में गठबंधन को लेकर ओम प्रकाश राजभर का कहना है वो बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। हालांकि उन्होंने यह भी शर्त रखते हुए कहा है कि अगर बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव में पिछड़े वर्ग के किसी नेता को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करे तो गठबंधन हो सकता है। (All Images: Facebook)
