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अब तक आपने गाय, भैंस या बकरी के दूध के फायदों के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या कभी कॉकरोच के दूध के बारे में सुना है? सुनने में अजीब लगने वाली यह बात इन दिनों वैज्ञानिक रिसर्च की वजह से चर्चा में है। वैज्ञानिकों का दावा है कि एक खास प्रजाति के कॉकरोच से निकलने वाला दूध, पोषण के मामले में पारंपरिक दूध से कहीं अधिक ताकतवर हो सकता है। हालांकि, यह दूध आम लोगों की थाली तक पहुंचेगा या नहीं, इस पर अभी सवाल बने हुए हैं। (Photo Source: Unsplash)
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क्या होता है कॉकरोच का दूध?
कॉकरोच की एक खास प्रजाति Diploptera punctata (डिप्लोप्टेरा पंक्टाटा) अपने बच्चों को जन्म देती है और उन्हें पोषण देने के लिए एक खास तरह का दूध जैसा पदार्थ बनाती है। यह दूध तरल नहीं, बल्कि प्रोटीन से भरपूर क्रिस्टल जैसा पदार्थ होता है। वैज्ञानिक भाषा में इसे ‘कॉकरोच मिल्क’ कहा जाता है, जो बच्चों के विकास के लिए ऊर्जा से भरपूर होता है। (Photo Source: Pixabay) -
क्यों कहा जा रहा है इसे ‘सुपरफूड’?
वैज्ञानिकों के अनुसार, कॉकरोच का दूध पोषण के मामले में बेहद खास है। National Library of Medicine में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, इसमें लगभग 45% प्रोटीन, 25% कार्बोहाइड्रेट, 16–22% हेल्दी फैट, ओमेगा-3 और ओमेगा-9 फैटी एसिड, ओलिक और लिनोलिक एसिड, विटामिन और मिनरल्स, और सभी 9 जरूरी अमीनो एसिड मौजूद हैं। यही वजह है कि इसे ‘Complete Protein’ माना जाता है, जो आमतौर पर नॉन-वेज या सीमित फूड्स में ही मिलता है। (Photo Source: Unsplash) -
गाय और भैंस के दूध से कितना अलग?
1977 और 2016 में हुई लैब स्टडीज के अनुसार, कॉकरोच का दूध गाय, भैंस और यहां तक कि इंसानी दूध से भी 3 गुना ज्यादा कैलोरी-डेंस है। 100 ग्राम कॉकरोच दूध में लगभग 232 कैलोरी हो सकती हैं। यह लंबे समय तक शरीर को ऊर्जा देने में सक्षम है। (Photo Source: Pexels) -
लैक्टोज इनटॉलरेंस वालों के लिए विकल्प?
कॉकरोच मिल्क डेयरी प्रोडक्ट नहीं है, इसलिए इसमें लैक्टोज नहीं होता। ऐसे में लैक्टोज इनटॉलरेंस, और गाय के दूध से एलर्जी जैसी समस्याओं वाले लोगों के लिए यह थियोरिटिकली एक विकल्प हो सकता है। हालांकि, फिलहाल बाजार में कई सुरक्षित और पौधों से बने लैक्टोज-फ्री विकल्प पहले से मौजूद हैं। सोया, बादाम और मिल्क जैसे विकल्प कहीं अधिक सुरक्षित और व्यावहारिक हैं। (Photo Source: Unsplash) -
फिर लोग इसे क्यों नहीं पीते?
इसके पीछे कई बड़ी वजहें हैं। सबसे पहला ये है कि इसका उत्पादन बेहद मुश्किल है और यह बाजार में उपलब्ध नहीं है। सिर्फ 100 ग्राम कॉकरोच मिल्क बनाने के लिए 1000 से ज्यादा कॉकरोच मारने पड़ते हैं। इसे निकालने के लिए मादा कॉकरोच और उसके भ्रूण को नष्ट करना पड़ता है। (Photo Source: Unsplash) -
उसके शरीर के midgut (आंतों के हिस्से) से दूध जैसे प्रोटीन क्रिस्टल निकाले जाते हैं। इसके अलावा अभी रिसर्च में यह साबित नहीं हुआ है कि यह इंसानों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। साथ ही अभी इसके स्वाद को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। (Photo Source: Pixabay)
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साथ ही इस दूध में बेहद ज्यादा कैलोरी होती है, ज्यादा मात्रा में इसका सेवन वजन बढ़ा सकता है। हालांकि, एक वजह यह भी है कि ज्यादातर लोग कॉकरोच से जुड़े किसी भी फूड आइडिया को स्वीकार नहीं कर पाते। अधिकांश लोग इसे पीने की कल्पना से ही असहज महसूस करते हैं। (Photo Source: Unsplash)
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क्या भविष्य में मिलेगा कॉकरोच मिल्क?
वैज्ञानिक अब बायोटेक्नोलॉजी और जीन इंजीनियरिंग के जरिए कॉकरोच दूध के प्रोटीन को लैब में बनाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि कीड़ों को मारे बिना इसके पोषक तत्वों का उपयोग किया जा सके। (Photo Source: Unsplash) -
कॉकरोच से बना आटा भी चर्चा में
ब्राजील में किए गए एक अन्य रिसर्च में Nauphoeta cinerea नामक कॉकरोच से बने आटे पर रिसर्च की गई, जिसमें 63% तक प्रोटीन, और गेहूं के आटे से कई गुना अधिक पोषण पाया गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में फूड शॉर्टेज से निपटने के लिए कीट-आधारित फूड एक विकल्प बन सकते हैं, जो वैश्विक समस्या में मदद कर सकता है। (Photo Source: Unsplash)
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