-   हर साल राखी का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन 19 अगस्त 2024, सोमवार को है। रक्षाबंधन त्यौहार का इतिहास बहुत पुराना है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यह देवताओं और राक्षसों के बीच हुए युद्ध से जुड़ा है, जिसमें एक पत्नी ने अपने पति की रक्षा के लिए सबसे पहले सावन पूर्णिमा के दिन रक्षा सूत्र बांधा था। (Photo Source: Freepik) 
-  पुराण के अनुसार, एक बार राक्षसों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया। देवताओं की सेना राक्षसों से पराजित होने लगी। देवताओं की लगातार हार से देवराज इंद्र की पत्नी शची भयभीत हो गईं और इंद्र की जान बचाने का उपाय सोचने लगीं। (Photo Source: Bing AI Image Creator) 
-  काफी सोच-विचार करने के बाद शची ने तपस्या शुरू कर दी। इससे एक सुरक्षात्मक सूत्र प्राप्त हुआ। शची ने यह रक्षा सूत्र इंद्र की कलाई पर बांधा। संयोग से वह श्रावण पूर्णिमा का ही दिन था। (Photo Source: Bing AI Image Creator) 
-  रक्षासूक्ष बांधते ही देवताओं की शक्ति बढ़ गयी और वे राक्षसों पर विजय पाने में सफल हो गये। कहा जाता है कि तब से ही पत्नियां अपने पति की कलाई पर युद्ध में उनकी जीत के लिए रक्षा सूत्र बांधने लगी। (Photo Source: Bing AI Image Creator) 
-  लेकिन द्वापर युग में जब भगवान श्री कृष्ण ने शिशुपाल को मारने के लिए उस पर सुदर्शन चक्र से हमला किया तो शिशुपाल को मारने के बाद वह चक्र वापस श्री कृष्ण की उंगली में आ गया। (Photo Source: Bing AI Image Creator) 
-  इस दौरान कृष्ण जी की अंगुली में चोट लग गई और उनकी अंगुली से खून निकलने लगा। कृष्ण जी की अंगुली से खून बहता देख द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक कोना फाड़कर उनकी अंगुली में बांध दिया। (Photo Source: Bing AI Image Creator) 
-  उस समय श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि समय आने पर वह इस साड़ी के एक-एक धागे का कर्ज चुकाएंगे। इस वचन के अनुसार जब द्रौपदी का चीरहरण हुआ तो श्रीकृष्ण ने उनकी लाज बचाने के लिए उन्हें कई मीटर लंबी साड़ी से ढक दिया था। (Photo Source: Exotic India Art) 
-  कहा जाता है कि जिस दिन द्रौपदी ने श्री कृष्ण की उंगली पर साड़ी का टुकड़ा बांधा था उस दिन सावन माह की पूर्णिमा तिथि थी। इसके बाद ही रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक बन गया था। (Photo Source: Bing AI Image Creator) 
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