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आयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के बाद उत्तर प्रदेश की सत्ता से दूर हुई कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी शुक्रवार को भगवान हनुमान का आशीर्वाद लेने के लिए अयोध्या स्थित हनुमानगढ़ी पहुंचे। वर्ष 1992 में विवादित ढांचा विध्वंस के बाद अयोध्या की यात्रा करने वाले वाले नेहरू-गांधी परिवार के वह पहले सदस्य हैं। उत्तर प्रदेश में अपनी किसान यात्रा के चौथे दिन राहुल ने अयोध्या के विवादित स्थल से लगभग एक किलोमीटर दूर स्थित हनुमानगढ़ी में दर्शन किए। हालांकि राहुल उस शिलान्यास स्थल से भी दूर रहे जहां वर्ष 1989 में राम मंदिर के निर्माण की आधारशिला रखी गयी थी।
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राजनीतिक हलकों में कई निहितार्थों को जन्म देने वाली अपनी अयोध्या यात्रा के दौरान राहुल ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के सदस्य महन्त ज्ञानदास से मुलाकात की। ज्ञानदास विश्व हिन्दू परिषद के प्रति विरोधी रुख रखने वाले माने जाते हैं। राहुल नेहरू-गांधी परिवार के ऐसे पहले सदस्य हैं, जिन्होंने छह दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद अयोध्या की यात्रा की है। उनके इस दौरे को कांग्रेस की खांटी हिन्दुत्व से परहेज रखने वाली पार्टी की छवि बदलने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है। यह भी उल्लेखनीय है कि राम मंदिर आंदोलन के बाद से ही कांग्रेस उत्तर प्रदेश में सत्ता से बाहर है।
राहुल से बंद कमरे में करीब 15 मिनट तक बातचीत के बाद महंत ज्ञानदास ने संवाददाताओं से कहा, ‘वह (राहुल) हम लोगों का आशीर्वाद लेने आये थे। साधु संत के पास नेता आए, ये कोई बड़ी बात नहीं है।’ सवालों के जवाब में महंत ज्ञानदास ने कहा कि कोई आशीर्वाद लेने आता है तो कोई ना कोई अपेक्षा तो होती ही है। आशीर्वाद लेने वाले के कल्याण की कामना की जाती है। इसबीच, सूत्रों ने बताया कि राहुल ने ज्ञानदास से मुलाकात के दौरान रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर किसी तरह के सुलह-समझौते की बात नहीं की। हालांकि यह आश्वासन दिया कि इस मामले में उच्चतम न्यायालय का जो भी फैसला होगा, कांग्रेस उसके साथ खड़ी होगी। सूत्रों ने यह भी बताया कि राहुल ने ज्ञानदास से मुलाकात के दौरान उनसे आगामी विधानसभा चुनाव के बारे में कोई बात नहीं की। इलाके के पुराने बाशिंदे बताते हैं कि करीब 26 साल पहले राहुल के पिता दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने वर्ष 1990 में अपनी ‘सद्भावना यात्रा’ के दौरान हनुमानगढ़ी मंदिर जाने का कार्यक्रम बनाया था लेकिन वक्त की कमी की वजह से वह वहां नहीं जा सके थे। राजीव गांधी की 21 मई 1991 को हत्या कर दी गयी थी। उस वक्त राहुल 20 साल के थे। राजनीतिक पर्यवेक्षक राहुल की अयोध्या की यह यात्रा कांग्रेस के एजेंडे में हिन्दुत्व की हल्की छुअन देख रहे हैं। सियासी बिसात पर राहुल को हर कदम होशियारी से आगे बढ़ा रहे चुनावी रणनीतिकार प्रशान्त किशोर की मंत्रणा से कांग्रेस ब्राह्मण-केन्द्रित रणनीति के साथ सामने आती दिख रही है।