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देश की सीमा पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी पाकिस्तान की ओर से जारी आतंकी गतिविधियां कम नहीं हो रही हैं। 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के जिले पुलवामा में बड़ा आतंकी हमला हुआ, जिसमें देश के 45 जवान शहीद हो गए। पाकिस्तान के आतंकियों ने इसी तरह का हमला 2001 में श्रीनगर में किया था जिसमें 38 जवानों की जान गई थी। 18 साल बाद 2019 में हुए इस भयानक हमले को अंजाम देने वाला जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी है, जिसका नाम आदिल अहमद है। आतंकवादी आदिल ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों को ले जा रही बस को टक्कर मार दी, जिसमें 40 जवान शहीद हो गये। बता दें कि यह 2016 में हुए उरी हमले के बाद सबसे भीषण आतंकवादी हमला है। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के 2500 से अधिक कर्मी 78 वाहनों के काफिले में जा रहे थे। तस्वीरों में देखें आतकी द्वारा जवानों की तबाही का मंजर। (All Pics- PTI)
आतंकियों ने जम्मू कश्मीर राजमार्ग पर अवंतिपोरा इलाके में इस काफिले पर घात लगाकर हमला किया। हमला करने वाला आतंकवादी पुलवामा के काकापोरा का रहने वाला था जो मार्च 2018 में जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हुआ था। यह हमला श्रीनगर से करीब 30 किलोमीटर दूर हुआ। पुलवामा में हुए आतंकी हमले का धमाका इतना जबरदस्त था कि बस के परखच्चे उड़ गए और आस पास जवानों के शव क्षत-विक्षत हो गए। हमले का शिकार हुए ये CRPF के ये वो 2,500 जवान हैं जो अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए वापस लौट रहे थे। लेकिन इनके उन 45 जवानों के परिजनों को शायद ही अंदाज होगा कि उनका बेटा, पति और पिता इस बार उनसे आखिरी बार गले लग रहा है। -
अमूमन काफिले में करीब एक हजार जवान ही शामिल होते हैं लेकिन इस बार यह संख्या 2,547 थी। इन्हीं जवानों की एक बस में आतंकी ने 350 किलो विस्फोटक भरा अपना वाहन भिड़ा दिया और देश के वीरों की जान ली ली।
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CRPF के एक सुरक्षा अधिकारी ने आशंका जताई कि ‘‘सैनिकों की इतनी बड़ी आवाजाही को बहुत सारे लोग जानते होंगे। इस जानकारी के आतंकवादियों तक पहुंचने की आशंका है।’’ उन्होंने बताया कि इसके अलावा, घाटी जाने वाले कर्मियों की संख्या अधिक थी क्योंकि खराब मौसम और अन्य प्रशासनिक कारणों से राजमार्ग पर पिछले दो से तीन दिनों से कोई आवाजाही नहीं थी। फिलहाल हमले के पहलुओं की जांच की जा रही है।
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हमले के बाद घाटी में सुरक्षा काफी बढ़ा दी गई है।