भारत समेत दुनियाभर में पेगासस का मामला जोर पकड़ चुका है। पेगासस स्पाईवेयर के इस्तेमाल से भारत के कई पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के फ़ोन हैक होने के आरोप लगा है। हालांकि केंद्र सरकार ने इसे बेबुनियादी बताया था और कहा था ऐसा कुछ भी नहीं है। ये कोई पहली बार नहीं है जब सरकार पर फोन टैपिंग के आरोप लगे हों। इससे पहले भी कई बार ऐसा मामला सामने आ चुका है। ये बात उस वक्त की है जब राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे और ज्ञानी जैल सिंह देश के राष्ट्रपति। उस वक्त राष्ट्रपति ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर फोन टैपिंग के आरोप लगाए थे। आज हम आपको इससे जुड़े कुछ किस्से के बारे में बताएंगे। कांग्रेस नेता और प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी पर राष्ट्रपति रहे ज्ञानी जैल सिंह ने फोन टैपिंग का आरोप लगाया गया था। ये मामला साल 1984 से 1987 के बीच का है। साल था 1982 इस वक्त देश की प्रधानमंत्री थीं इंदिरा गांधी और उस वक्त देश के गृह मंत्री थे ज्ञानी जैल सिंह। इंदिरा गांधी ने ज्ञानी जैल सिंह को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया था। इसके बाद ज्ञानी जैल सिंह निर्विरोध देश के राष्ट्रपति चुन लिए गए थे। ज्ञानी जैल सिंह इंदिरा गांधी के बेहद करीबी माने जाते थे। हालांकि 2 साल के अंदर ही परिस्थितियां बदल गई। इंदिरा गांधी के आदेश पर स्वर्ण मंदिर में सेना घुसी और जरनैल सिंह भिंडरावाले मारा गया। इस घटना के बाद ज्ञानी जैल सिंह और इंदिया के बीच अनबन शुरू हो गई और ज्ञानी जैल सिंह पर राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने का दवाब डाला जाने लगा। हालांकि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया। इसके बाद 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई और राजीव गांधी देश के नए पीएम बने। पीएम बनते ही उन्होंने ज्ञानी जैल सिंह के फोन टैपिंग के आदेश दे दिए। राजीव गांधी को शक था कि ज्ञानी जैल सिंह खालिस्तानी नेताओं के संपर्क में हैं। इस बात की पुष्टी The Untodld Truth नामक किताब में भी की गई है। इसके साथ ही Open Secrets नामक किताब में भी इस बात का खुलासा किया गया है कि राजीव गांधी ने ही ज्ञानी जैल सिंह के फोन टैपिंग के आदेश दिए थे। Open Secrets नामक किताब में ये भी दावा किया गया है कि इंदिरा गांधी ने ही गृह मंत्री रहे ज्ञानी जैल सिंह का फोन टैप कराया था। (All Images PTI and Indian Express Archieve)
