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भारत त्योहारों की भूमि है और हर त्योहार अपने साथ एक खास परंपरा और सांस्कृतिक महत्व लेकर आता है। दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला ओणम (Onam) ऐसा ही एक अद्भुत पर्व है, जिसे खासतौर पर केरल में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। (Photo Source: Pinterest)
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यह त्योहार फसल कटाई के उत्सव (Harvest Festival) के रूप में जाना जाता है और इसके पीछे गहरा धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व जुड़ा हुआ है। इस पर्व का संबंध केवल धार्मिक आस्था से ही नहीं बल्कि समृद्धि, खुशहाली और एकजुटता से भी जुड़ा हुआ है। (Photo Source: Pinterest)
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ओणम 2025 कब है?
साल 2025 में ओणम का मुख्य पर्व 5 सितंबर (शुक्रवार) को मनाया जाएगा। यह दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि और श्रवण नक्षत्र के साथ पड़ रहा है। इस वर्ष तिरुवोनम नक्षत्र 4 सितंबर रात 11:44 बजे से शुरू होकर 5 सितंबर रात 11:38 बजे तक रहेगा। (Photo Source: Pinterest) -
ओणम का महत्व
ओणम 10 दिनों तक चलने वाला उत्सव है, जिसमें हर दिन का अलग महत्व होता है। इस त्यौहार की शुरुआत केरल के थ्रिक्काकरा स्थित एकमात्र वामन मंदिर से होती है। (Photo Source: Pinterest) -
ओणम, जिसे मलयालम भाषा में थिरुवोनम भी कहते हैं, वर्ष 2025 में 26 अगस्त से 5 सितंबर तक चलेगा। (Photo Source: Pinterest)
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इस त्योहार को लेकर यह मान्यता है कि इस दिन महाबली राजा (Mahabali) अपनी प्रजा से मिलने के लिए धरती पर आते हैं। उनके स्वागत के लिए घर-घर में फूलों की पुक्कलम (Pookkalam) सजाई जाती है। (Photo Source: Pinterest)
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ओणम और महाबली राजा की कथा
ओणम का त्योहार असुर राजा महाबली की स्मृति और उनके वार्षिक आगमन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। मान्यता है कि महाबली एक शक्तिशाली लेकिन दानी और प्रजा-प्रिय राजा थे। (Photo Source: Pinterest) -
भगवान विष्णु ने वामन अवतार में उनसे तीन पग भूमि मांगी और उन्हें पाताल लोक भेज दिया। हालांकि, विष्णु ने उन्हें यह वरदान दिया कि साल में एक बार वे पृथ्वी पर अपनी प्रजा से मिलने आ सकेंगे। (Photo Source: Pinterest)
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ऐसा कहा जाता है कि उनकी यात्रा को सुखद बनाने और उनके स्वागत में, लोग अपने घरों के आंगन को फूलों से सजाकर पुक्कलम बनाते हैं और खुशी के साथ उनका आगमन करते हैं। (Photo Source: Pinterest)
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पुक्कलम (Pookkalam) क्या है?
पुक्कलम असल में फूलों से बनाई जाने वाली एक विशेष रंगोली है। यह केवल ताजे फूलों और पत्तियों से तैयार की जाती है और घर के आंगन या दरवाजे पर बनाई जाती है। (Photo Source: Pinterest) -
इसके रंग-बिरंगे डिजाइन आंगन की शोभा बढ़ाने के साथ-साथ उत्सव का माहौल और भी ज्यादा भव्य बना देते हैं। (Photo Source: Pinterest)
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पुक्कलम बनाने की परंपरा
पुक्कलम को गोल आकार में बनाया जाता है। इसके लिए गेंदे, गुलाब, कमल, चमेली जैसे ताजे फूलों की पंखुड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है। (Photo Source: Pinterest) -
डिजाइनों में ज्यामितीय पैटर्न, भगवान विष्णु के प्रतीक चिन्ह या पारंपरिक कलाकृतियों की झलक दिखाई देती है। (Photo Source: Pinterest)
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कई लोग पुक्कलम को दीयों और मोमबत्तियों से सजाते हैं, जिससे इसकी सुंदरता और बढ़ जाती है। (Photo Source: Pinterest)
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ओणम पर पुक्कलम क्यों बनाई जाती है?
पुक्कलम महाबली राजा के स्वागत का प्रतीक है। इसे बनाकर लोग अपने घरों में खुशहाली और सकारात्मकता आमंत्रित करते हैं। (Photo Source: Pinterest) -
रंग-बिरंगे फूल समृद्धि, आनंद और शांति का प्रतीक माने जाते हैं। यह सामूहिकता और एकता की भावना को भी दर्शाता है, क्योंकि कई बार पूरा परिवार या समाज मिलकर पुक्कलम तैयार करता है। (Photo Source: Pinterest)
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किस तरह बनाई जाती है पुक्कलम?
सबसे पहले जमीन पर गोल या अन्य पैटर्न का डिजाइन तैयार किया जाता है। उसके बाद विभिन्न रंगों के फूलों की पंखुड़ियों का इस्तेमाल कर उसे सजाया जाता है। (Photo Source: Pinterest) -
अक्सर गेंदे, गुलाब, चंपा और अन्य स्थानीय फूलों का उपयोग किया जाता है। पुक्कलम को दीपक और अन्य सजावटी सामान से और भी आकर्षक बनाया जाता है। (Photo Source: Pinterest)
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पुक्कलम का महत्व
पुक्कलम न केवल महाबली राजा का स्वागत करने के लिए बनाई जाती है, बल्कि यह परिवार और समाज में सौहार्द, खुशी और मिल-जुलकर रहने की भावना को भी मजबूत करती है। (Photo Source: Pinterest) -
हर दिन नई-नई डिजाइनों के साथ पुक्कलम बनाना ओणम उत्सव की सबसे बड़ी परंपरा मानी जाती है। (Photo Source: Pinterest)
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