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कुत्ते इंसानों के सबसे प्यारे दोस्त हो सकते हैं, लेकिन इनके संपर्क में आने से सिर्फ रेबीज ही नहीं बल्कि कई अन्य खतरनाक बीमारियां भी फैल सकती हैं। जानना जरूरी है कि कौन-कौन सी बीमारियां कुत्तों से इंसानों में फैल सकती हैं और उनसे बचाव कैसे किया जा सकता है। (Photo Source: Unsplash)
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लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospirosis)
यह एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है जो संक्रमित जानवरों के पेशाब के माध्यम से फैलता है। इंसान दूषित पानी या मिट्टी के संपर्क में आने से इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं। इसके लक्षण हैं बुखार, मांसपेशियों में दर्द और गंभीर मामलों में किडनी या लीवर की समस्या। रोकथाम के लिए कुत्तों का वैक्सीनेशन, दस्ताने का उपयोग और हाथों की साफ-सफाई जरूरी है, खासकर बाढ़ या भारी बारिश के बाद। (Photo Source: Unsplash) -
कैम्पिलोबैक्टीरियोसिस (Campylobacteriosis)
कुत्ते, खासकर पिल्ले, कैम्पिलोबैक्टर बैक्टीरिया ले जाते हैं, जो फेकल-ओरल संपर्क से इंसानों में फैल सकता है। यह दस्त, पेट में दर्द और बुखार पैदा करता है। कुत्तों को संभालने या उनके मल को साफ करने के बाद हाथ धोएं। पिल्लों को बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों से दूर रखें। (Photo Source: Unsplash) -
सैलमोनेलोसिस (Salmonellosis)
कुत्तों के खाने के बर्तन या दूषित पालतू भोजन से सैलमोनेला बैक्टीरिया इंसानों में जा सकता है। लक्षण हैं दस्त, बुखार और पेट में दर्द। कच्चा पालतू भोजन न दें, बर्तनों और खिलौनों को साफ रखें और प्रोडक्ट रिकॉल की जानकारी चेक करते रहें। (Photo Source: Unsplash) -
टॉक्सोकारिआसिस (Toxocariasis – Dog Roundworm)
कुत्तों के मल में मौजूद टॉक्सोकारा के अंडे इंसानों को संक्रमित कर सकते हैं। मिट्टी या धूल के गलती से निगलने पर यह आंख, अंग या नसों को नुकसान पहुंचा सकता है। कुत्तों को नियमित डीडर्मिंग (कीड़े निकालना) करें, मल तुरंत साफ करें और बच्चों को बाहर खेलने के बाद हाथ धोने की आदत डालें। (Photo Source: Unsplash) -
जूनेटिक हुकवर्म (Zoonotic Hookworm)
कुत्तों के मल में मौजूद हुकवर्म की लार्वा इंसान की त्वचा में प्रवेश कर सकती है, जिससे त्वचा पर सांप जैसे खुजली वाले निशान बनते हैं। बाग-बगीचों और बीच पर जूते पहनें, खुली मिट्टी या रेत पर सीधे न बैठें और कुत्तों का डीडर्मिंग नियमित करें। (Photo Source: Unsplash) -
एकिनोकॉकसिस (Echinococcosis – Hydatid Disease)
कुत्ते एकिनोकॉकस टेपवार्म ले जाते हैं, जिनके अंडे इंसान द्वारा निगलने पर अंगों में सिस्ट बना सकते हैं। रोकथाम के लिए कुत्तों को डीडर्मिंग कराएं, मल सुरक्षित तरीके से निपटाएं और कच्चे अंडे या आंत का भोजन न दें। (Photo Source: Unsplash) -
कैप्नोसाइटोफैगा इन्फेक्शन (Capnocytophaga Infection)
कुत्तों के काटने या लार के संपर्क में आने से यह बैक्टीरिया फैल सकता है। कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में यह सेप्सिस तक कर सकता है। काटने की जगह तुरंत साफ करें और तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। (Photo Source: Unsplash) -
पेस्चुरेला इन्फेक्शन (Pasteurella Infection)
यह आमतौर पर कुत्तों के काटने या खरोंच से त्वचा में तेजी से फैलने वाला संक्रमण है। सेलुलाइटिस या गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। घाव को जल्दी साफ करना और जरूरत पड़ने पर एंटीबायोटिक लेना जरूरी है। (Photo Source: Unsplash) -
रिंगवर्म (Ringworm – Dermatophytosis)
यह एक फंगल स्किन इन्फेक्शन है, जो संक्रमित कुत्तों से इंसानों में फैल सकता है। त्वचा पर गोलाकार, खुजली वाले दाने बनते हैं। पालतू को जल्दी से इलाज कराएं, हाथ धोएं और बिस्तर व कंघे साफ रखें। (Photo Source: Unsplash) -
ब्रुसेलोसिस (Brucella canis)
यह बीमारी दुर्लभ है, लेकिन संक्रमित कुत्तों के शरीर के तरल पदार्थ से इंसानों में फैल सकती है। लक्षण हैं बुखार और लंबे समय तक बीमारी। विशेष रूप से ब्रीडर्स और केनेल कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण का उपयोग करना चाहिए और ब्रीडिंग कुत्तों का नियमित टेस्ट कराना चाहिए। (Photo Source: Unsplash) -
सुरक्षा टिप्स:
कुत्तों को नियमित वैक्सीनेशन और डीडर्मिंग कराएं। मल और खून के संपर्क में आने के बाद हाथ अच्छे से धोएं। बच्चों, बुजुर्गों और रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर लोगों को पालतू के निकट सतर्क रखें। काटने या खरोंच के बाद तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। (Photo Source: Unsplash)
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