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तुलसी का पौधा।
आम के पत्ते : शुभ कार्यों में आम के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है। मंडप, कलश बनाने, घर के द्वार को शुभ करने के लिए आम के पत्ते लगायो जाते हैं। घर के मुख्य द्वार पर आम की पत्तियां लटकाने से घर में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति के प्रवेश करने के साथ ही सकारात्मक ऊर्जा घर में आती है। आम के पेड़ की लकड़ियों का उपयोग समिधा के रूप में वैदिक काल से ही किया जा रहा है। माना जाता है कि आम की लकड़ी, घी, हवन सामग्री आदि के हवन में प्रयोग से वातावरण में सकारात्मकता बढ़ती है। आम की पत्तियां ग्लूकोज सोखने की आंत की क्षमता घटाती है। इससे खून में शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है। आम की पत्तियां सुखाकर पाउडर बना लें। खाने से 1 घंटे पहले पानी में आधा चम्मच घोलकर पीएं। -
शुभ कार्यो में केले के पौधे का मंडप और तोरण बनाया जाता है। (Source: Express Archives)
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चेहरे पर दाग-मुहांसों की समस्या को पान के पत्तों की मदद से दूर किया जा सकता है।
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बेल का पत्ता : हिन्दू धर्म में बेल के पत्ते को भगवान शिव को चढ़ाया जाता है। बेल की तासीर बेहद ठंडी होती है। गर्मी के दिनों में इसके फल की शरबत बनाकर पीने से बेहद लाभ होता है। यह शरबत कुपचन, आंखों की रोशनी में कमी, पेट में कीड़े और लू लगने जैसी समस्याओं से निजात पाने के लिए उत्तम है। आयुर्वेद के अनुसार नीम और तुलसी की पत्तियों की गोली बनाकर खाने से पेट के रोगों से मुक्ति मिल जाती है। बेल के पत्तों को पानी में पीसकर माथे पर लेप करने से दिमाग की गर्मी शांत मिलती है। साथ ही नींद भी बेहतर आती है।
कढ़ी पत्ता : कढ़ी पत्ता अक्सर कढ़ी में डलता है। इसके खाने में जायका बढ़ जाता है। यह पत्ता बेहद खुशबूदार होता है। इसको खाने से बाल काले और मजबूत रहते हैं। इसके पत्ते कुछ-कुछ देखने में नीम की तरह होते है। कई जगहों पर इसे काला नीम भी कहा जाता है। । कढ़ी पत्ता बालों को बेहतर बनाता है इसे खाने से बाल लंबे और काले हो जाते हैं। डायबिटीज पीड़ितों के लिए रोज सुबह खाली पेट 8-10 कढ़ी पत्ते चबाना फायदेमंद है साथ ही पेट संबंधी रोग भी कढ़ी पत्ता खाने से ठीक हो जाते हैं। -
नीम का पत्ता : पुराने समय में नीम का दातून करने का रिवाज था लेकिन समय के साथ-साथ यह रिवाज समाप्त होता जा रहा है। नीम का पत्ता सभी प्रकार के चर्म रोगों से बचाता है। नीम के पत्ते चबाने से मुंह, दांत और आंत के रोग तो दूर होते ही हैं, साथ ही इसके रस से रक्त भी साफ रहता है। चेहरे पर होने वाले दाने, मुंहासे नीम का पत्ता चबाने से ठीक हो जाते है।
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तेजपत्ता : सामान्य तौर पर तेज पत्ता सब्जी में मसाले के तौर पर प्रयोग किया जाता है। यह एक बेहद गुणकारी पत्ता है। आयुर्वेद में तेजपत्ते को बेहद गर्म और उत्तेजक माना गया है इसीलिए यह सेक्शुयल पॉवर बढ़ाने में करने में लाभदायक है। यह गठिया रोग और अपच संबंधी पेट के रोगों में भी लाभदायक है। इसके खाने से भूख बढ़ती है। पेशाव की समस्या में भी यह लाभदायक है। तेजपत्ते के चूर्ण मंजन करने पर दांत सफेद होते है।
जामुन की पत्तियां : प्राचीन भारतीय उपमहाद्वीप को पहले जम्बूद्वीप कहा जाता था, क्योंकि यहां जामुन के पेड़ अधिक पाए जाते थे। जामुन का पेड़ पहले हर भारतीय के घर-आंगन में होता था। अब आंगन ही नहीं रहे। आजकल जामुन और बेर के पेड़ को देखना दुर्लभ है। भारत, ब्रिटेन और अमेरिका में हुए कई अध्ययनों में जामुन की पत्ती में मौजूद ‘माइरिलिन’ नाम के यौगिक को खून में शुगर का स्तर घटाने में कारगर पाया गया है। विशेषज्ञ ब्लड शुगर बढ़ने पर सुबह जामुन की 4 से 5 पत्तियां पीसकर पीने की सलाह देते हैं। शुगर काबू में आ जाए तो इसका सेवन बंद कर दें।