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नेपाल में विनाशकारी भूकम्प आने के चार दिन बाद खाने पीने की चीजों और पानी के लिए लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला को राहत शिविरों में लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। भूकम्प से अब तक छह हजार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। (फोटो: एपी)
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जब प्रधानमंत्री राहत कार्यों का जायजा लेने शिविरों में पहुंचे तो लोगों ने अपना गुस्सा उनके सामने निकाला और शिकायत की कि उन्हें कोई सहायता नहीं मिल रही। कोइराला ने लोगों से कहा कि वह खुद नेपाल के सामने मौजूद कठिन हालात को देखने आए हैं और उन्हें जल्द से जल्द मदद पहुंचेगी। (फोटो: एपी)
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यहां मुख्य बस स्टेशन पर भी लोगों का गुस्सा देखने को मिला जहां भूकम्प पीड़ित काठमांडो से बाहर जाने के लिए आए थे लेकिन बसें नहीं पहुंची जिसका उनसे वादा किया गया था। हालात को काबू में करने के लिए पहुंची दंगा पुलिस और नाराज भीड़ के बीच झड़प हो गई। (फोटो: एपी)
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पाकिस्तान: नेपाल भेजे गए भोजन में गाय का नहीं, भैंस का मांस (फोटो: एपी)
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बचावकर्मियों को अब भी इस हिमालयी राष्ट्र के सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, जहां अंतरराष्ट्रीय मदद के बीच भारी बारिश और भूस्खलन से राहत कार्य प्रभावित हुए हैं। अधिकारियों ने आगाह किया कि उन्हें देश में मदद प्राप्त करने में और उसे नेपाल में अत्यंत जरूरत वाले कुछ हिस्सों तक पहुंचाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। (फोटो: एपी)
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अपने गांव जाने के लिए बस का इंतजार कर रहे लोगों की कतार में खड़ी राजना ने कहा, ‘मैं खबरें सुन रही हूं कि सभी सरकारें और सहायता एजंसियां की यहां मौजूदगी है लेकिन वो हैं कहां? हमारी सरकार पूरी तरह गायब है। आसरा तो भूल जाइए, वे हमें पानी तक नहीं दे सके।’ (फोटो: एपी)
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नेपाल में राहत सामग्री के नाम पर बीफ के पैकेट बांट रहा पाकिस्तान (फोटो: एपी)
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बचावकर्मी गोरखा, धाडिंग, सिंधुपालचोक, कावरे और नुवाकोट सहित विभिन्न जिलों के उन गांवों में तक नहीं पहुंच पाए हैं, जो इस भूकम्प में सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। नेपाली दंगा पुलिस को भूकम्प में जीवित बचे लोगों के गुस्से पर काबू पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। (फोटो: एपी)
