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मुलायम और अखिलेश के पारिवारिक विवाद में दो धड़ थे। अखिलेश के साथ उनके चाचा राम गोपाल थे, जबकि विरोध में उनके चाचा शिवपाल, पिता मुलायम, मां साधना गुप्ता और अमर सिंह थे। (<a href="https://www.jansatta.com/photos/lifestyle-gallery/mulayam-singh-yadav-akhilesh-yadav-fight-netaji-had-threatened-his-son-bhaiyaji-on-the-partition-of-sp/1767199/ "> ‘हम खड़े हो गए थे तो आधे से अधिक मेरे साथ होंगे’, जब मुलायम सिंह यादव ने बेटे अखिलेश यादव को दी थी भरी सभा में चेतावनी</a> )
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राम गोपाल ने कहा कि ये अदृश्य शक्तियां मुलायम के सगे-संबंधी ही रहे हैं जिन्होंने पिता और पुत्र के बीच विवाद खड़ा किया था। (All Photos: Social Media and PTI)
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रामगोपाल यादव राजनीति में नहीं आना चाहते थे। हालांकि भाई मुलायम के आग्रह पर वह राजनीति में आए और फिर पार्टी के 'चाणक्य' बन गए।
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रामगोपाल यादव परिवार से लेकर पार्टी के काम-काज में सबसे ज्यादा सक्रिय रहे, लेकिन कभी मंत्री पद नहीं लिया।
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मुलायम के हर फैसले में इनकी सलाह शामिल रहती थी। वह रामगोपाल ही थे जिन्होंने सबसे पहले अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने की सफल सिफारिश की थी।
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मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई और अखिलेश के चाचा रामगोपाल यादव ने अपने भतीजे का पूरे विवाद में साथ दिया था।(<a href=" https://www.jansatta.com/photos/lifestyle-gallery/mulayam-second-wife-sadhna-gupta-has-been-waiting-for-akhilesh-yadav-promise-for-four-years/1762054/">मुलायम की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता चार साल से कर रहीं अखिलेश यादव के वादे का इंतजार, सौतेली मां से 3 महीने का मांगा था समय </a> )
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