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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक से देश के रक्षा मंत्री और गोवा के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे मनोहर पर्रिकर की छवि एक सीधे सादे, सामान्य व्यक्ति की रही है। मिडिल क्लास फैमिली में 13 दिसंबर 1955 को जन्मे पर्रिकर ने RSS के प्रचारक के रूप में अपना राजनीतिक करिअर की शुरुआत की थी। राष्ट्रपति कोविंद ने पर्रिकर को एक असाधारण नेता और सच्चा देशभक्त तो पीएम मोदी ने उन्हें बेमिसाल नेता कहा। पीएम मोदी ने पर्रिकर के लिए लिखा कि 'देश के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा पीढ़ियों तक याद रखी जाएगी।' फरवरी, 2018 के बाद से पर्रिकर की तबियत ज्यादा खराब रहने लगी। उन्हें तब अग्नाशय संबंधी बीमारी के उपचार के लिए मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह मार्च के पहले सप्ताह में इलाज के लिए अमेरिका गए जहां वह जून तक अस्पताल में रहे। इसके अलावा दिल्ली के एम्स में भी उनका लंबा इलाज चला लेकिन 17 मार्च 2019 को उन्होंने अपने निजी निवास पर अंतिम सांस ली। भाजपा के सभी वर्गों के साथ ही विभिन्न पक्षों के बीच लोकप्रिय पर्रिकर ने लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रहे गोवा में भाजपा का प्रभाव बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई थी। साधा जीवन- उच्च विचार के व्यक्तित्व वाले पर्रिकर जिंदगी भले ही लंबी न जी सके लेकिन 63 की उम्र में उन्होंने वो कार्य किए जिनके जरिए वह सदियों तक याद किए जाएंगे। पर्रिकर की यादगार तस्वीरों के जरिए जानिेए उनकी जिंदगी का सफर। (All Pics- Express/PTI)
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मनोहर पर्रिकर आखिरी बार फरवरी में अमित शाह के संबोधन के दौरान 'अटल बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन' के कार्यक्रम में नजर आए थे। इसके बाद से वह कभी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं दिखे। 63 वर्षीय पर्रिकर ने चार बार गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में काम किया और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में रक्षा मंत्री के तौर पर तीन वर्ष सेवाएं दीं।
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पर्रिकर ने बहुत छोटी उम्र से RSS से रिश्ता जोड़ लिया था। उन्होंने IIT- मुंबई से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद भी संघ के लिए काम जारी रखा। वह स्कूल के अंतिम दिनों में RSS के मुख्य शिक्षक बन गए थे। पर्रिकर ने RSS के साथ अपने जुड़ाव को लेकर कभी भी किसी तरह की परेशानी महसूस नहीं की। IIT से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 26 साल की उम्र में मापुसा में संघचालक बन गए।
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उरी हमले के बाद इंडियन आर्मी ने सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए LoC पार कर पाकिस्तान में आतंकियों के शिविरों को नेस्तनाबूद कर दिया था। भारतीय सेना द्वारा किए इस हमले में मनोहर पर्रिकर की अहम भूमिका थी।
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पर्रिकर ने रक्षा मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय संघ की शिक्षा को दिया था।
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ऐसा माना जाता है कि राज्य के सबसे पुराने क्षेत्रीय राजनीतिक दल ‘महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी’ की बढ़त रोकने के लिए भाजपा ने पर्रिकर को राजनीति में खींचा और चुनावी राजनीति में 1994 में प्रवेश किया, जब उन्होंने पणजी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता। पर्रिकर जून से नवंबर 1999 तक गोवा विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे और उन्हें तत्कालीन कांग्रेस नीत सरकार के खिलाफ उनके भाषणों के लिए जाना जाता था।
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पर्रिकर पहली बार 24 अक्टूबर 2000 में गोवा के मुख्यमंत्री बने लेकिन उनका कार्यकाल केवल 27 फरवरी 2002 तक ही चला। इसके बाद पांच जून, 2002 को उन्हें फिर से चुना गया और उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में सेवाएं दीं। चार भाजपा विधायकों के 29 जनवरी, 2005 को सदन से इस्तीफा देने के बाद उनकी सरकार अल्पमत में आ गई। इसके बाद पर्रिकर की जगह कांग्रेस के प्रतापसिंह राणे गोवा के सीएम बन गए। ऐसे में पर्रिकर के नेतृत्व वाली भाजपा को 2007 में दिगम्बर कामत के नेतृत्व वाली कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा। लेकिन बाद फिर कांग्रेस को बीजेपी से मुहंकी खानी पड़ी।
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साल 2012 राज्य में पर्रिकर की लोकप्रियता की लहर लेकर आया और उन्होंने अपनी पार्टी को विधानसभा में 40 में से 21 सीटों पर जीत दिलाई। वह फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने। सीएम बनने के बाद पर्रिकर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
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भाजपा की जीत की लय साल 2014 में भी बनी रही जब पार्टी को आम चुनाव में दोनों लोकसभा सीटों पर विजय प्राप्त हुई। केंद्र में मोदी के नेतृत्व में मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण करने के बाद पर्रिकर को नवंबर 2014 में रक्षा मंत्री का पद दिया गया। वह 2017 तक केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहे।
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गोवा विधानसभा चुनाव में पार्टी के बहुमत हासिल नहीं कर पाने पर वह मार्च 2017 में राज्य लौटे और गोवा फॉरवर्ड पार्टी एवं एमजीपी जैसे दलों को गठबंधन सहयोगी बनाने में कामयाब रहे। राज्य में एक बार फिर उनकी सरकार बनी। उनका व्यक्तिव ही नहीं बल्कि उनके द्वारा किए गए कार्य भी जनता हमेशा याद करेगी।