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आजकल की महंगाई में हमारी जेब का सबसे बड़ा खर्च ट्रांसपोर्टेशन पर होता है। चाहे रोज ऑफिस, कॉलेज या स्कूल जाना हो या फिर कहीं घूमने जाना हो, ट्रैवल का खर्च सबसे ज्यादा महसूस होता है। ऐसे में अगर आपको पता चले कि दुनिया में कुछ ऐसे देश भी हैं जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट एकदम मुफ्त है, तो यकीनन यह खबर चौंकाने वाली और राहत भरी होगी। (Photo Source: Pexels)
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लक्जमबर्ग: पहला देश जिसने किया पब्लिक ट्रांसपोर्ट फ्री
साल 2020 में लक्जमबर्ग (Luxembourg) दुनिया का पहला ऐसा देश बना, जिसने अपने नागरिकों और विदेशी टूरिस्ट के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट को पूरी तरह फ्री कर दिया। अब वहां बस, ट्रेन और ट्राम में सफर करने के लिए किसी टिकट की जरूरत नहीं होती, केवल फर्स्ट क्लास यात्रा के लिए ही यात्री को टिकट खरीदना पड़ता है। (Photo Source: Pexels) -
लक्जमबर्ग सरकार का यह कदम न केवल आम जनता को आर्थिक रूप से राहत देता है, बल्कि इसका बड़ा मकसद सड़कों पर कारों की भीड़ को कम करना और प्रदूषण को घटाना भी है। (Photo Source: Pexels)
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क्यों लिया गया यह निर्णय?
लक्जमबर्ग में कारों की संख्या यूरोपियन यूनियन में सबसे ज्यादा है। 2020 के आंकड़ों के मुताबिक यहां हर 1,000 लोगों पर लगभग 696 कारें थीं, जबकि यूरोप का औसत 560 है। (Photo Source: Pexels) -
इतनी ज्यादा गाड़ियों की वजह से ट्रैफिक जाम और प्रदूषण की समस्या आम हो गई थी। फ्री पब्लिक ट्रांसपोर्ट लागू होने के बाद लोगों को निजी गाड़ियों की जगह बस और ट्रेन का इस्तेमाल करने की प्रेरणा मिली। (Photo Source: Pexels)
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सामाजिक और आर्थिक फायदे
लोगों का रोज का ट्रैवल खर्च बचने लगा। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले वाहनों का इस्तेमाल कम हुआ। आम जनता को यह सुविधा एक ‘बुनियादी अधिकार’ के तौर पर मिलने लगी। (Photo Source: Pexels) -
लक्जमबर्ग में हर साल करीब 500 मिलियन यूरो पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर खर्च होते हैं। पहले टिकट से लगभग 41 मिलियन यूरो की आय होती थी, लेकिन अब यह घाटा टैक्स के जरिए पूरा किया जाता है। अमीर टैक्सपेयर्स ज्यादा योगदान करते हैं, जबकि कम आय वाले नागरिकों को लगभग मुफ्त सुविधा मिलती है। (Photo Source: Pexels)
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और कौन से देश हैं इस लिस्ट में?
लक्जमबर्ग के बाद माल्टा (Malta) ने भी 2022 से पब्लिक ट्रांसपोर्ट को अपने नागरिकों के लिए मुफ्त कर दिया। हालांकि वहां यह सुविधा सिर्फ रेजिडेंट्स को मिलती है, पर्यटकों को नहीं। इसके अलावा कई देशों के कुछ शहरों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर भी फ्री पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था की गई है। (Photo Source: Pexels) -
नतीजा क्या निकला?
लक्जमबर्ग का अनुभव बताता है कि इस तरह की स्कीम्स से लोगों को आर्थिक और सामाजिक दोनों स्तर पर राहत मिलती है। हालांकि, कार संस्कृति (Car Culture) अभी भी गहरी है और लोग पूरी तरह पब्लिक ट्रांसपोर्ट की ओर शिफ्ट नहीं हुए हैं। फिर भी, यह कदम पर्यावरण के लिए और आम जनता के लिए बेहद सकारात्मक माना जा रहा है। (Photo Source: Pexels)
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