लोहड़ी का त्योहार बुधवार को पूरे उत्तर भारत में मनाया गया। इस पर्व को खासतौर पर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल और अन्य पड़ोसी राज्यों में मनाया जाता है। इसे मकर संक्राति से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस त्योहार का किसानों के अलावा नई शादी वाले जोड़ों के लिए भी खास अहमियत है। -
इस त्योहार में खासतौर पर सिख एवं पंजाबी समुदाय के लोग आग जलाकर इसके चारों ओर परंपरागत रंग-बिरंगी वेशभूषा में नाच-गाकर लोहड़ी मनाते हैं। इस दौरान आग में तिल, गजक, मूंगफली, गुड़ और गन्ना की आहुति देते हैं। इसके साथ ही गुड़ की रेवड़ी, मूंगफली और धान खाकर भी खुशी मनाते हैं।
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एक कथन के मुताबिक, शुरुआत में लोहड़ी को तिलोड़ी कहा जाता था। तिलोड़ी शब्द तिल और रोड़ी से मिलकर बना है। बाद में यह तिलोड़ी का नाम बदलकर लोहड़ी हो गया।
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लोहड़ी एक तरह से मकर संक्रांति का आगमन है। इस दौरान सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है।
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सूर्य आग और शक्ति का प्रतीक है, इसलिए इस त्योहार में आग की पूजा की जाती है।
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किसान इसे फसल आने की खुशी के तौर पर मनाते हैं।
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मकर सक्रांति के दिन या इसके आसपास कोई न कोई उत्सव जरूर मनाया जाता है।
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तमिल पोंगल का त्योहार मनाते हैं तो असम में बीहू का उत्सव मनाया जाता है।