ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए काम करने वाली लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को किन्नर अखाड़े का पहला महामंडलेश्वर बनाया गया है। सोमवार को पूरे विधि-विधान से उनकी ताजपोजी हुई। किन्नर अखाड़ा इस बार उज्जैन सिंहस्थ में शामिल हुआ है। लक्ष्मी को इस पद के लिए देश भर के 20 लाख से ज्यादा किन्नरों का समर्थन प्राप्त है। उनके अलावा कई प्रदेशों में छह किन्नर पीठाधीश्वर, अर्ध पीठाधीश्वर और महंत चुने गए हैं। (pic source-social media) -
महामंडलेश्वर बनने के बाद लक्ष्मी ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि अब तक समाज में तिरस्कृत किन्नर समुदाय भी सम्मान के साथ जीवन जी सकेगा। (pic source-social media)
-
लक्ष्मी ट्रांसजेंडरों के अधिकारों के लिए अस्तितत्व नाम से एक एनजीओ चलाती हैं। (pic source-social media)
-
किन्नर अखाड़े का मुख्यालय उज्जैन में बनाया गया है। इस अखाड़े का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, गोरक्षा, कन्या भ्रूण हत्या का विरोध और बाल विवाह रोकने के लिए काम करना होगा।(pic source-social media)
-
देश में साधु-संतों के 13 अखाड़े हैं। इन अखाड़ों में किन्नर अखाड़ा शामिल नहीं है लेकिन किन्नर अखाड़ा दूसरे अखाड़ों की तरह हीं सिंहस्थ कुंभ में शामिल हुआ है। सिंहस्थ कुंभ में किन्नर अखाड़े को सरकार ने जमीन आवंटित करके दी है। इस अखाड़े ने अपनी शोभायात्रा भी निकाली थी। लेकिन किन्नरों की पहल से अखाड़ा परिषद नाराज बताया जा रहा है। परिषद ने न तो महिला सन्यासियों को मान्यता दी है और न ही किन्नर अखाड़े को।(pic source-social media)
-
दूसरे अखाड़ों के तरह किन्नर अखाड़े ने अपने नियम-कायदे भी बना लिए हैं। किन्नर अखाड़े का अखाड़े का शस्त्र तलवार होगा औऱ शिव पुराण अखाड़े का शास्त्र होगा। (pic source-social media)
महामंडलेश्वर बनी लक्ष्मी नरायण त्रिपाठी का जन्म महाराष्ट्र के ठाणे के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने मिठिबाई कॉलेज से आर्ट्स में स्नातक किया है और साथ भरतनाट्यम में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया है।(pic source-social media) -
लक्ष्मी मुंबई में बार में बतौर डांसर काम कर चुकी हैं। (pic source-social media)
किन्नरों के सम्मान के लिए वे कई सालों से संघर्ष कर रही हैं। 2008 में संयुक्त राष्ट्र के एशिया पैसिफिक सम्मलेन में प्रतिनिधित्व करने वाली पहली ट्रांसजेंडर हैं।(pic source-social media) -
लक्ष्मी 'बिग बॉस' और 'सच का सामना' जैसे टीवी रियलिटी शो में भी काम कर चुकी हैं।(pic source-social media)
-
लक्ष्मी कहती हैं कि किन्नर अखाड़े को महाकुंभ का हिस्सा बनाने के पीछे भी उनकी मंशा किन्नरों को समाज में एक सम्मानज नक स्थान दिलाने की है।(pic source-social media)
-
अखाड़ा परिषद द्वारा किन्नर अखाड़े को मान्यता नहीं देने पर लक्ष्मी नारायण ने कहा है कि संविधान में हमें स्थान मिल गया है। अब हमें किसी और से मान्यता लेने की जरूरत नहीं। किन्नर समाज की खोए सम्मान पाने के लिए किन्नर अखाड़ा काम करेगा।(pic source-social media)