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जन्माष्टमी के मौके पर घर-घर में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियां जोर-शोर से होती हैं। मंदिरों और घरों में लड्डू गोपाल की विशेष सजावट की जाती है।
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भक्तजन अपने प्रिय ठाकुर जी को नए वस्त्र पहनाते हैं, झूले सजाते हैं और विभिन्न प्रकार की सजावट से उन्हें सुसज्जित करते हैं।
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हर साल इस अवसर पर लोग लड्डू गोपाल की ड्रेस के लिए नए-नए आइडियाज अपनाते हैं, ताकि उनके श्रीकृष्ण सबसे अलग और आकर्षक दिखें।
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सुंदर पोशाक, चमकीले रंग, डेलिकेट एम्ब्रोइडरी और मनमोहक आभूषण इस सजावट को और खास बना देते हैं। हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का पर्व बेहद पवित्र और हर्षोल्लास का दिन माना जाता है।
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मान्यता है कि श्री हरि के आठवें अवतार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।
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इस दिन को लेकर भक्तों में विशेष उत्साह देखने को मिलता है। मंदिरों में भजन-कीर्तन, झांकियां और रासलीला के आयोजन होते हैं, जबकि घरों में व्रत-पूजा की जाती है।
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इस साल जन्माष्टमी को लेकर लोगों में कुछ कन्फ्यूजन है, क्योंकि पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग अलग-अलग दिनों में पड़ रहा है।
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अष्टमी तिथि 15 अगस्त को रात 11 बजकर 49 मिनट पर शुरू होकर 16 अगस्त को रात 09 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी।
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ऐसे में 15 अगस्त को सामान्य कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी और वैष्णव जन 16 अगस्त को जन्मोत्सव मनाएंगे।
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पूजा विधि की बात करें तो जन्माष्टमी के दिन भक्त उपवास रखते हैं और रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं।
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इस समय लड्डू गोपाल को नए वस्त्र पहनाकर, फूल-मालाओं से सजाकर, शंख-घंटियों के बीच उनका अभिषेक किया जाता है। उनके सामने मिठाई, माखन-मिश्री और फल चढ़ाए जाते हैं।
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खास बात यह है कि लड्डू गोपाल की ड्रेस सजावट में लोग अपनी भावनाओं के साथ रचनात्मकता भी जोड़ते हैं—चाहे वह ट्रेडिशनल लुक हो या फिर कुछ अनोखा और रंगीन। इस तरह जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल की सुंदर पोशाक और सजावट, भक्तों के प्रेम और आस्था का अद्भुत रूप बन जाती है।