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जानिए क्या है एलिफेंटा का असली नाम, मौजूद है भगवान शिव के 9 रूपों और क्रियाओं वाली अद्भुत मूर्तियां

एलिफेंटा की गुफाओं में अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। मगर यह स्थान भगवान शिव को समर्पित है। यहां भगवान शिव की नौ मूर्तियां मौजूद हैं जो उनके अलग-अलग रूपों और क्रियाओं को दर्शाती हैं। ये मूर्तिया कई शताब्दी पुरानी है।

By: Archana Keshri
Updated: August 18, 2023 19:22 IST
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  • Elephanta caves
    1/10

    भारत में कई ऐसी जगहें हैं जो एतिहासिक होने के साथ-साथ बेहद शानदार और घूमने लायक है। ये जगहें अपने आप में दुनिया के 7 अजूबों से भी कम नहीं हैं। इन में से ही एक जगह है एलिफेंटा, जहां की गुफाएं टूरिस्ट के लिए आकर्षण का एक बड़ा केंद्र हैं। इतिहासकारों के मुताबिक, एलिफेंटा गुफाओं का निर्माण 6वीं शताब्दी में किया गया था। यह जगह मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आपको बता दें इस स्थान का प्राचीन नाम घारापुरी गुफाएं था। पुर्तगालियों ने अपने शासन काल में यहां पर बने पत्थर के बड़े से हाथी के कारण इसे यह नाम दे दिया था। लेकिन आपको बता दें इस स्थान पर कुल सात गुफाएं हैं, जिनमें से 5 गुफाएं हिन्दू धर्म से संबंधित है, जबकि अन्य दो गुफाएं बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। यहां अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं, मगर यह स्थान विशेष रुप से भगवान शिव को समर्पित है। यहां भगवान शिव की नौ अद्भुत मूर्तियां हैं जो उनके विभिन्न रूपों और क्रियाओं को दिखाती हैं। ये मूर्तियां पहाड़ियों को काटकर बनाई गई हैं। चलिए देखते हैं भगवान के नौ रूपों और उनकी क्रियाओं वाली मूर्तियां जो कई शताब्दी पुरानी हैं। (Photo: Archana Keshri/ Jansatta)

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    त्रि-मूर्ति
    इस गुफा में त्रिमूर्ति शिव प्रतिमा सबसे आकर्षक है। इस मूर्ति में शिव के तीन रूपों को दर्शाया गया है। हालांकि इस मुर्ति में भगवान शिव के तीन नहीं बल्कि पांच मुख है। चौथा मुख पीछे और पांचवां नश्वर रुप का है। शिव के चार मुख – तत्पुरुष (महादेव), अघोर (भैरव), वामदेव (उमा) और सद्योजात है। (Photo: Archana Keshri/ Jansatta)

  • 3/10

    गंगाधर-मूर्ति
    गंगा के पृथ्वी पर उतरने की कथा पुराणों में मिलती है, जिसमें राजा सगर के पौत्र भगीरथ ने गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने के लिए घोर तपस्या की थी। राजा के तप से प्रसन्न होकर देवी गंगा स्वर्ग से नीचे उतरने के लिए तैयार हो गई, मगर उनके वेग को धारण करने के लिए धरती पर किसी की सहायता चाहिए थी। भगवान शिव राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न थे, तो उन्होंने गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर लिया। वहीं गुफा में मौजूद मूर्तियों में से एक मूर्ति में गंगा को धरती पर लाते हुए शिव का चित्रण दिखाया गया है। इसमें शिव के दाहिने घुटने के पास राजा भगीरथ को दिखाया गया है। (Photo: Archana Keshri/ Jansatta)

  • 4/10

    शिव-पार्वती
    इस मूर्ति में दिखाया गया है कि भगवान शिव की पत्नी कुछ परेशान हैं। उनका चेहरा शिव के विपरीत है। इसमें दिखाया गया है कि शिव-पार्वती पासे के साथ खेल रहे थे मगर पार्वती को संदेह है कि शिव ने शायद खेल में उनके साथ चीटिंग की है, जिसकी वजह से वह उनसे नाराज हैं। (Photo: Archana Keshri/ Jansatta)

  • 5/10

    अंधकासुर-वध
    अंधकासुर एक पौराणिक दैत्य का नाम है जो माता पार्वती की सुंदरता से मुग्ध होकर उनका अपहरण करने का प्रयास करता है। मगर उसका वध करना आसान नहीं था क्योंकि उसे ब्रह्मा से अजय होने का वरदान मिला था। उस दैत्य को लगी चोट से निकलने वाले रक्त के जमीन पर गिरने से हर बार एक नए राक्षस का जन्म होता जाता था। जिसके बाद पहले शिव ने देवी चामुंडा को उत्पन्न किया जो उस दैत्य के खून को धरती पर गिरने से रोकती है और खुद भैरव का रूप लेकर उसका वध कर दिया। (Photo: Archana Keshri/ Jansatta)

  • 6/10

    रावणानुग्रह-फलक
    पुराणों में एक कथा है जिसमें रावण कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास कर रहा था। रावण शिव का परम भक्त था, मगर उसे अपने शक्ति और कार्यों पर बहुत घमंड था। एक दिन वह अपने पुष्पक विमान में हिमालय से निकल रहा था जहां शिव और पार्वती विश्राम कर रहे थे। रावण के वहां आने पर कार्तिकेय ने उसे रोक लिया और कहा कि किसी को यहां से गुजरने की अनुमति नहीं है। इससे रावण क्रोधित होकर कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास करने लगा मगर उसे उठाने में असफल हो गया। (Photo: Archana Keshri/ Jansatta)

  • 7/10

    अर्धनारीश्वर शिव
    अर्धनारीश्वर का शाब्दिक अर्थ भगवान शिव का आधा रुप स्त्री के रूप में होना है। शिवपुराण के अनुसार, ब्रह्मा ने विभिन्न नर प्राणियों को संतान पैदा करने की आज्ञा दी थी। हालांकि, वो ऐसा करने में असमर्थ थे। परेशान होकर ब्रह्मा ने शिव से मदद मांगी। सृष्टि के स्त्री सिद्धांत की आवश्यकता को प्रदर्शित करने के लिए ब्रह्मा जी के कहने पर शिव पुरुष और स्त्री के संयुक्त रूप में प्रकट हुए। मूर्ति में दायां भाग शिव और बाया आधा भाग पार्वती का था। (Photo: Archana Keshri/ Jansatta)

  • 8/10

    महायोगी शिव
    इस मूर्ति में शिव को योगिक मुद्रा में कमल पर ध्यानमग्न अवस्था में बैठे दिखाया गया है। शिव ने इसमें रत्नजड़ित जटामुकुट धारण किया है और उनके बाल कंधे पर फैले हुए हैं। (Photo: Archana Keshri/ Jansatta)

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    कल्याणसुन्दर-मुर्ति
    इसमें शिव और पार्वती के विवाह को दर्शाया गया है। इसमें चित्रित किया गया है कि राजा हिमवान अपनी बेटी को शिव की ओर ले जाते हैं। शिव के दाईं और पार्वती दुल्हन के रूप में खड़ी हैं। बता दें, विवाह के बाद पार्वती हमेशा शिव के बाईं और खड़ी रहती हैं। मगर यह मूर्ति उनके विवाह से पहले की है जिसमें माता पार्वती शिव के दाईं और खड़ी दिखाई गईं है। इसके अलावा इसमें दिखाया गया है कि देवताओं के महापुरोहित ब्रह्मा विवाह की रस्म निभा रहे हैं और उनके पीछे विष्णु जी खड़े हैं। वहीं दुल्हन की तरफ से आए दोस्त और रिश्तेदार उनके पीछे खड़े हैं। (Photo: Archana Keshri/ Jansatta)

  • 10/10

    नटराज शिव
    शिव को नृत्य का देवता भी कहा जाता है। वहीं इस गुफा में शिव की एक नटराज रूम में भी मूर्ति मौजूद है। इसमें शिव की आठ भुजाएं दिखाई गई है और वह नृत्य करते नजर आ रहे हैं। मूर्ति के दाईं ओर उनके पुत्र गणेश और बाईं ओर उनकी पत्नी पार्वती मंत्रमुग्ध मुद्रा में उनका नृत्य देख रहे हैं।(Photo: Archana Keshri/ Jansatta)
    (यह भी पढ़ें: ऑस्ट्रेलिया से मॉरिशस तक, दूसरे देशों में भी हैं ऐतिहासिक हिंदू देवताओं के मंदिर)

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