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26 जुलाई को करगिल दिवस के मौके पर आज पूरा देश उन वीर जवानों को याद कर रहा है जिन्होंने 1999 के करगिल युद्ध के दौरान अपनी जान जोखिम में पाकिस्तानी सेना से जंग लड़ी और तिरंगा फहराया। भारतीय सेना ने 12000 फीट से ऊपर द्रास, काकसर, बटालिक, तुकतुत में लड़ाड़ियां लडीं और तिरंग को लहराया। करगिल युद्ध के दौरान लगभग 30,000 भारतीय सैनिक और करीब 5,000 घुसपैठिए इस युद्ध में शामिल थे। इन घुसपैठियों ने देश की घाटी में कब्जा कर लिया था। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाली जगहों पर हमला किया और धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर किया। यह युद्ध ऊंचाई वाले इलाके पर हुआ और दोनों देशों की सेनाओं को लड़ने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। परमाणु बम बनाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ यह पहला सशस्त्र संघर्ष था। (All Photos- Social mEdia)
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करगिल जैसा बड़ा युद्ध दो लोगों के मतभेद को लेकर हुआ था। 1998 में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख जहांगीर करामात के बीच काफी मतभेद बढ़ गये थे, जो बाद में एक जंग में तब्दील हआ। जहांगीर करामात के रिटायर होने के बाद सेना प्रमुख किसे बनाया जाय इस बात पर भी बहस चल रही थी। यह मतभेद इता बड़ा कि वाद में करामात ने इस्तीफा दे दिया।
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करामात के बाद में शरीफ ने जनरल परवेज मुशर्रफ को सेना प्रमुख के पद पर नियुक्त किया। लेकिन बाद में परवेज राष्ट्रपति बन गए तो शरीफ का मतभेद उनसे भी होने लगा। इसी दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध हुआ।
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करगिल की शुरुआत 8 मई 1999 को तब हुई जब पाकिस्तान के सैनिकों और कश्मीरी आतंकियों को कारगिल की चोटी पर देखा गया। 8 मई से शुरू हुआ यह ऑपरेशन 26 जुलाई को खत्म हुआ।
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12 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल में लड़ी गई इस जंग में भारतीय सेना के 527 जवान शहीद हुए थे और करीब 1363 घायल हुए।
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इस लड़ाई में पाकिस्तान के करीब 3 हजार जवान मारे गए थे। लेकिन वह मानता है कि उनकी सेना के 357 सैनिक मारे गए थे।
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8 मई से शुरू हुई लड़ाई में पहले तो आर्मी जवान लड़ते रहे और 11 मई से भारतीय वायुसेना भी इस जंग में शामिल हो गई थी लेकिन उसने कभी एलओसी पार नहीं की। वायुसेना क लड़ाकू विमान मिराज, मिग-21, मिग 27 और हेलीकॉप्टर ने पाकिस्तानी घुसपैठियों ने घुटने टेक दिए थे।