-
देश में कई राजनीतिक परिवार हैं जिनके तमाम सदस्य राजनीति में हैं। इनमें से कुछ परिवारों का प्रभाव तो ऐसा रहा है कि उनके चुनाव लड़ते ही जीत तय मान ली जाती थी। जब से नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) गुजरात से केंद्र की राजनीति में आए हैं तब से कई बड़े राजनीतिक परिवारों के सदस्यों को हार का सामना करना पड़ा है। आइए डालते हैं उन्हीं में से कुछ चर्चित परिवारों पर एक नजर:
-
गांधी परिवार के लिए हमेशा से अमेठी और रायबरेली की सीट सुरक्षित मानी जाती रही है। इस सीट से परिवार के कई सदस्य जीतकर लोकसभा पहुंचे। हालांकि 2019 में राहुल गांधी को अमेठी सीट से हार का मुंह देखना पड़ा था। राहुल गांधी को शिकस्त दी थी बीजेपी की स्मृति ईरानी ने। (यह भी पढ़ें – ‘माधवराव सिंधिया को मत बनाना मंत्री..’, निधन से कुछ दिन पहले इंदिरा गांधी ने बेटे राजीव को दी थी नसीहत)
-
सिंधिया परिवार हमेशा से गुना लोकसभा सीट जीतता आया था। लेकिन 2019 में ज्योतिरादित्य सिंधिया इस सीट से हार गए थे। उन्हें बीजेपी ते कृष्णपाल सिंह यादव ने हराया था। (यह भी पढ़ें – ज्योतिरादित्य से वसुंधरा राजे तक, करोड़ों की है संपत्ति, जानिए कहां से होती है सिंधिया परिवार के इन सदस्यों की कमाई)
-
कभी दिग्गज समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया यूपी में कन्नौज सीट से जीतकर संसद पहुंचे थे। उनके बाद मुलायम सिंह यादव ने साल 1999 में इस सीट से चुनाव जीता और सांसद बने। इसके बाद साल 2000 से लेकर 2012 तक तीन बार अखिलेश यादव इस सीट से चुनाव जीतकर सांसद बने। (यह भी पढ़ें- बेटे की ओर इशारा कर नरेंद्र मोदी से क्या बोले थे मुलायम, अखिलेश यादव ने खुद खोला था राज)
-
साल 2012 में कन्नौज से ही डिंपल यादव ने जीत हासिल की और सांसद बनीं। 2014 में भी डिंपल यहीं से सांसदी का चुनाव जीतीं। 2019 में मुलायम का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर भी बीजेपी का कब्जा हो गया। (यह भी पढ़ें- जब मोदी ने डिंपल के देवर की 5 करोड़ की कार पर साधा था निशाना, मुलायम कुनबे से मिला था ऐसा जवाब)
-
बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव का दबदबा पिछले करीब 30 सालों से रहा है। परिवार के कई सदस्य लोकसभा, राज्यसभा विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य रहे हैं। लेकिन नरेंद्र मोदी की लहर में लालू की बेटी मीसा भी उनकी साख नहीं बचा पाई थीं। (यह भी पढ़ें –‘रातभर नाच देखे हैं, इसीलिए नहीं उतरी खुमारी..’, जब समधी मुलायम पर भड़क गए लालू)
-
2019 में मीसा भारती अपने पिता के बेहद खास रहे राम कृपाल यादव से चुनाव हार गई थीं। राम कृपाल यादव बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे। मीसा की हार लालू परिवार के लिए बड़ी शिकस्त थी। (यह भी पढ़ें – कोई पायलट तो कोई इंजीनियर, राजनीति से दूर हैं लालू यादव और राबड़ी देवी के ये सभी दामाद)
-
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जाट नेता रहे चौधरी चरण सिंह के परिवार को भी मोदी लहर में हार का मुंह देखना पड़ा था। 2019 में चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह मुजफ्फरनगर से और उनके पोते जयंत चौधरी मथुरा से अपना चुनाव हार गए थे। (यह भी पढ़ें – मायावती से योगी आदित्यनाथ तक, जब बने यूपी के सीएम तब इतनी संपत्ति के मालिक थे ये राजनेता)
-
हरियाणा का चौटाला परिवार भी मोदी लहर में अपनी साख नहीं बचा पाया था। देश के सबसे युवा सांसद का रिकॉर्ड दर्ज करने वाले दुष्यंत चौटाला 2019 में हरियाणा की हिसार सीट से बीजेपी के बृजेंद्र सिंह ने तीन लाख से ज़्यादा वोटों से हार गए थे। (यह भी पढ़ें- मायावती से योगी आदित्यनाथ तक, जानिए क्या है राजनीति की इन 6 चर्चित हस्तियों के असली नाम)