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हिंदू कैलेंडर के अनुसार, जन्माष्टमी भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। जन्माष्टमी यानी कृष्ण भगवान का जन्मदिवस, इस साल 26 और 27 अगस्त को मनाया जाने वाला है।
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जन्माष्टमी पर भक्त व्रत रखते हैं और आधी रात को कान्हा की पूजा करते हैं। मान्यता के अनुसार, जन्माष्टमी का व्रत रखने और इस दिन पूजा करने से भक्त को भगवान कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
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हालांकि, जन्माष्टमी का व्रत रखते समय भक्त को विशेष नियमों का पालन करना चाहिए, अन्यथा पूजा का फल नहीं मिलता है। चलिए राधा रानी के परम भक्त प्रेमानंद महाराज से जानते हैं कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत से जुड़े नियमों के बारे में।
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प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि हर व्यक्ति को जन्माष्टमी का त्योहार मनाना चाहिए। चाहे आप व्रत रख रहे हों या नहीं, आपको इस दिन सच्चे मन से भगवान कृष्ण की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
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पूजा करने के बाद भगवान कृष्ण का श्रृंगार करें। उन्हें फूलों और आभूषणों से सजाएं। पूरे दिन भगवान का नाम जपें और कीर्तन करें। साथ ही जन्माष्टमी के खास मौके पर श्री कृष्ण के जन्म अवतार की लीलाओं की कथा भी सुनें।
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प्रेमानंद महाराज का मानना है कि सिर्फ व्रत रखने से पूजा का पूरा फल नहीं मिलता, बल्कि भगवान का नाम जपना भी जरूरी है। उनका कहना है कि देवी-देवताओं के नामों में अद्भुत शक्ति होती है, जिससे भक्तों को उसके पापों से भी मुक्ति मिल जाती है।
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प्रेमानंद महाराज के अनुसार, भगवान का नाम जपने से मानसिक शांति भी मिलती है। महाराज के अनुसार, यदि व्यक्ति ऐसा नहीं करता है तो उसे उसकी पूजा का पूर्ण फल भी नहीं मिलता है। बता दें, वृंदावन के स्वामी प्रेमानंद महाराज पिछले कुछ सालों से चर्चा में बने हुए हैं। वह सत्संग के माध्यम से लोगों का मार्गदर्शन करते हैं। उनके भजन और सत्संग को सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
(Photos Source: PremanandJi Maharaj/Facebook)
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