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तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने सोमवार को चेन्नई के अपोलो अस्पताल में अंतिम सांस ली। अपोलो अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनकी हालत रविवार शाम को उस समय बिगड़ी जब उन्हें कार्डियक अरेस्ट आया। विशेषज्ञों की टीम लगातार उनके ऊपर नजर रखे हुए थे। राजनीति की दुनिया में कदम रखने से पहले जयललिता की पहचान एक सफल एक्ट्रेस के रूप में भी रही है। लगभग 30 साल तक तमिल सिनेमा की क्वीन बनी रही।
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जयललिता का जन्म 24 फरवरी 1948 को मैसूर के एक परंपरागत तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। जब वो दो साल की थीं तभी उनके पिता का देहांत हो गया। पिता का निधन परिवार की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी इसलिए उन्हें 1961 में महज 13 साल की उम्र में बाल कलाकर के तौर पर फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया।
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जयललिता ने तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम और हिंदी में 120 से ज्याादा फिल्में कर चुकी है। 1964 में पढ़ाई के दौरान उन्होंने पहली कन्नड़ फिल्म Chinnada Gombe की थी, जो कि ब्लॉकबस्टर साबित हुई। बाद में इसका हिंदी, तमिल और तेलुगू वर्जन भी बना।
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एमजीआर और जयललिता की जोड़ी सुनहरे परदे पर हिट रही। दोनों ने एक साथ 28 फिल्मों में लीड रोल किया। 1970 के दशक में दोनों ने अज्ञात कारणों से एक साथ फिल्में करनी बंद कर दी थीं। दोनों ने आखिरी बार 1973 में आई फिल्म पट्टीकट्टू पोनैया में काम किया था।
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जयललिता 1980 तक फिल्मों में काम करती रहीं। उन्होंने अपने करीब बीस साल लंबे फिल्मी करियर में करीब 300 फिल्मों में काम किया।
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फिल्मों में जयललिता के मेंटर रहे एमजीआर राजनीति में भी उनके गुरु बने। 1977 में एआईएडीएमके के नेता के तौर पर एमजीआर पहली बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने।
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एमजीआर के पीछे-पीछे जयललिता भी आज्ञाकारी शिष्या की तरह 1982 में एआईएडीएमके की सदस्य बनकर राजनीति में आ गईं। 1983 में उन्हें पार्टी के प्रचार विभाग का सचिव बनाया गया। 1984 में एमजीआर ने उन्हें राज्य सभा का सांसद बनाया।
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तमिलनाडु और जयललिता के राजनीतिक इतिहास में 25 मार्च 1989 का दिन काफी अहम है। उस दिन विधान सभा के अंदर क्या हुआ इस पर विवाद है लेकिन इतना तय है कि डीएमके और एआईडीएमके विधायकों की हाथापाई के बीच जयललिता के संग सदन में अभद्रता की गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जयललिता उस दिन सदन से यह कहते हुए बाहर चली गईं कि वो दोबारा मुख्यमंत्री बनकर ही विधान सभा में वापस आएंगी।