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हमारी राजनीति में कई ऐसे राजनेता हैं जो कभी स्कूल में टीचर हुआ करते थे। छात्र राजनीति से राजनेता बनते तो आपने कई उदाहरण देखें होंगे। लेकिन कुछ राजनेता ऐसे भी हैं जो राजनीति में आने से पहले स्कूल और कॉलेज में बतौर टीचर अपनी सेवा दे चुके हैं। इसके बाद इन्होंने राजनीति का रुख किया और बुलंदियों को छुआ। इन नामों में उत्तर प्रदेश के तीन पूर्व मुख्यमंत्रिय के नाम हैं। साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व लोकसभा स्पीकर जैसे शीर्ष पदों पर रह चुके राजनेता भी शामिल हैं।
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सबसे पहले बात करते हैं समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह के बारे में। नेताजी ने करिअर की शुरुआत राजनीति से नहीं बल्कि टीचर से हुई थी। वे राजनाति में आने से पहले एक टीचर रह चुके हैं। उन्होंने टीचिंग का करियर यूपी के करहल क्षेत्र के जैन इंटर कॉलेज से शुरू किया था। उन दिनों वे मित्रों से कहा करते थे कि एक शिक्षक कितना ही ज्ञानी ही क्यों न हो लेकिन वह एक शिष्य रहता है उसे हर रोज कुछ नया सीखना चाहिए। आपको बता दें कि उनकी राजनीतिक जिंदगी 1960 से शुरु हुई जब वह पहली बार उत्तर प्रदेश की असेंबली का चुनाव जात कर आए और अपनी जीत को ऐसे दोहराते हुए वे लोकसभा में अब तक 5 बार चुनाव जीत चुके हैं। मुलायम सिंह ने 1996 से 1998 तक मुलायम सिंह यादव ने रक्षा मंत्री के तौर पर भी काम किया है। वें लोकसभा में पहली बार 1996 में चुनकर आए थे। इसके अलावा मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।
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बसापा सुप्रीमो मायावती भी राजनीति में आने से पहले एक शिक्षिका रह चुकी हैं। मायावती ने दिल्ली के एक स्कूल में शिक्षिका के रूप में काम किया है। स्कूल और कॉलेज डेज के दौरान मायावती का सपना IAS बनने का था। लिहाजा उन्होंने कॉलेज के बाद बीएड करने के प्रशासनिक सेवा की तैयारी की। इसी दरमियान वे अपने ज्ञान बढ़ाने के लिए दिन में स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ातीं थीं और बाद में अपना रिवीजन करती थीं। इन दिनों मायावती के आर्थिक हालातों की वजह से शिक्षिका का कार्य करना पड़ा था। इसी के साथ उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री ली। राजनीति में उनकी एंट्री काशीराम से मिलने के बाद हुई थी। आपको बता दें कि मायावती साल 1995 में पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। वे उत्तर प्रदेश में चार बार मुख्यमंत्री के पद पर रह चुकी हैं। सीएम बनने के बाद उन्होंने अपने स्टूडेंट्स से कभी नहीं मिली और न ही उन्होंने कभी पीछे मुढ़कर देखा। 2008 में उन्होंने कैंपस में गुंडागिर्दी को लेकर छात्रसंघ चुनावों को बैन कर दिया था। हालांकि अब बीजेपी की लहर के आगे उनकी पार्टी कमजोर पड़ चुकी है।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह।(फाइल फोटो) -
देश के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह विपक्ष के लिए अब मजबूत आवाज बन चुके हैं। (फाइल फोटो)
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देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी वेस्ट बंगाल के कॉलेज में बतौर प्रोफेसर काम कर चुके हैं। लंदन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने बताया था कि वे राज्यसभा सदस्य होने से पहले एक पत्रकारिता में भी हाथ आजमा चुके हैं।
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पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल।(फाइल फोटो)