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दिल्ली का लाल किला आज भारत की आजादी, इतिहास और गौरव का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है। हर साल 15 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री यहीं से तिरंगा फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी लाल किला लाल नहीं, बल्कि सफेद रंग का हुआ करता था? (Photo Source: Pexels)
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शाहजहां ने बनवाया था ये किला
मुगल सम्राट शाहजहां ने 1639 में लाल किले का निर्माण शुरू करवाया था। यह निर्माण लगभग 10 साल में पूरा हुआ और 1648 में इसे ‘मुबारक महल’ (Qila-i-Mubārak) कहा गया। शाहजहां ने इसे अपनी नई राजधानी शाहजहांनाबाद (आज की पुरानी दिल्ली) के बीचोंबीच बनवाया था। (Photo Source: Pexels) -
इस किले का निर्माण लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से किया गया था। अंदरूनी हिस्सों पर ‘मुगल प्लास्टर’ नामक सफेद चूने का लेप चढ़ाया गया था, जो संगमरमर की तरह चमकता था। यह प्लास्टर चूना, संगमरमर का चूर्ण, दालों, बेल फल के रस और गुड़ से तैयार किया जाता था। इस वजह से किला दूर से एक चमकते हुए सफेद महल जैसा दिखाई देता था। (Photo Source: Pexels)
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1857 के बाद अंग्रेजों ने बदल दिया रंग
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद ब्रिटिशों ने बहादुर शाह जफर को हटाकर दिल्ली और लाल किले पर कब्जा कर लिया। इसके बाद उन्होंने किले को अपनी सैन्य छावनी (barrack) के रूप में इस्तेमाल किया। (Photo Source: Unsplash) -
किले की सफेद दीवारें समय के साथ जर्जर होने लगीं। परंपरागत कारीगरों की जगह अंग्रेजों ने सस्ते तरीकों से मरम्मत करवाई। उन्होंने दीवारों को लाल रंग से रंगवाया, ताकि नमी से बचाव हो और दीवारें मजबूत बनी रहें। (Photo Source: Pexels)
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कहा जाता है कि लाल रंग शक्ति और साम्राज्य का प्रतीक माना जाता था, इसलिए अंग्रेजों ने इस रंग के जरिए अपने शासन की ताकत और प्रभाव को भी दिखाना चाहा। धीरे-धीरे यह किला ‘लाल किला’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया। (Photo Source: Unsplash)
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पुरातत्व विभाग की खोज
हाल ही में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और संरक्षण विशेषज्ञों ने जब लाल किले की दीवारों पर अध्ययन किया, तो पाया कि इसके कई हिस्सों पर आज भी सफेद मुगल प्लास्टर के अवशेष (traces) मौजूद हैं। खासकर नौबत खाना (Naubat Khana), रंग महल और शाही हमाम जैसे हिस्सों में सफेद प्लास्टर के निशान मिले हैं। (Photo Source: Pexels) -
कंजर्वेशन आर्किटेक्ट के.के. मोहम्मद ने कहा कि ‘लाल किला’ एक ‘गलत धारणा’ है, क्योंकि इसकी केवल बाहरी दीवार लाल बलुआ पत्थर से बनी है। उन्होंने कहा कि लाल किले का ज्यादातर हिस्सा जितना लोग समझते हैं, उससे कहीं अधिक सफेद है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि किले को अंग्रेजों ने या मुगलों ने खुद रंगा था। (Photo Source: Pexels)
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ब्रिटिशों ने तोड़ी संरक्षण की परंपरा
वहीं, कन्सर्वेशन स्पेशलिस्ट रतीश नंदा रतीश नंदा के अनुसार, ब्रिटिशों ने भारत में ‘कंसर्वेशन’ (संरक्षण) की अवधारणा तो शुरू की, लेकिन उन्होंने पारंपरिक भारतीय संरक्षण पद्धतियों को नष्ट भी कर दिया। (Photo Source: Pexels) -
उन्होंने आगे कहा कि मुगलों के समय, इमारतों की देखरेख करने वाले कारीगर विशेष सफेद चूने के मिश्रण से प्लास्टर तैयार करते थे। अंग्रेजों ने यह परंपरा खत्म कर दी और सस्ते लाल पेंट का इस्तेमाल शुरू किया। (Photo Source: Unsplash)
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आज का लाल किला: गर्व और पहचान
आज लाल किला न सिर्फ एक ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि भारत की स्वतंत्रता और एकता का प्रतीक बन चुका है। हर साल लाखों पर्यटक इसे देखने आते हैं। इसकी दीवारें भले अब लाल हों, लेकिन इनके भीतर भारत का गौरवशाली इतिहास, मुगल वास्तुकला की भव्यता और आजादी की गूंज आज भी महसूस की जा सकती है। (Photo Source: Pexels)
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