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राष्ट्रीय स्तर पर कई बार अवॉर्ड हासिल कर चुकीं अर्जुन अवार्डी भारतीय बॉक्सर कविता चहल एक बार फिर से गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। जी हां, हाल ही कविता ने अपना बेहतरीन प्रदर्शन दिखाते हुए अमेरिका के लॉस एंजलिस में चल रहे विश्व पुलिस खेलों में स्वर्ण पदक जीता है। यहां मुक्केबाजी की फाइनल प्रतियोगिता में कविता ने लंदन मेट्रो पुलिस फॉर्स की हॉरगन को 3-0 से हराकर स्वर्ण पदक पर अपना कब्जा जमाया।
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कविता अपनी कामयाबी के पीछे अपने पति का साथ बताती हैं।
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उनका कहना है कि जब मैं हरियाणा पुलिस में अपनी दारोगा की नौकरी करके मुक्केबाजी की प्रैक्टिस के लिए जाती थी तो मेरे पति हमारे बच्चे का ध्यान रखते थे। उनके होते हुए मुझे कभी भी कोई परेशानी नहीं हुई है।
कविता ने पहले ही तय कर लिया था कि वे भी बॉक्सर एमसी मैरीकॉम की तरह मुक्केबाजी में इंटरनेशनल स्तर पर नाम कमाकर देश के लिए गोल्ड मेडल हासिल करने का सपना पूरा करना चाहती हैं। एक बच्चे की मां होने के बाद देश के लिए गोल्ड मेडल लानी वाली कविता आज न जाने की कितनी महिलाओं की प्रेरणाश्रोत बन गई हैं। -
मुक्केबाजी कविता को विरासत में अपने पिता भूप सिंह से मिली जो कि सेना में मुक्केबाजी का खेल खेलते थे।
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कविता ने द्रोणाचार्य अवॉर्ड विजेता जगदीश सिंह से मुक्केबाजी के गुण सीखे हैं। कविता जब 18 वर्ष की थीं, तब से ही वे मुक्केबाजी कर रही हैं।
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इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कविता ने दो स्वर्ण, दो रजत और 7 कांस्य पदक जीते हैं। कविता के बेहतरीन प्रदर्शन के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा खेल का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार अर्जुना अवॉर्ड भी दिया जा चुका है।
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मुक्केबाजी के अलावा कविता को घुड़सवारी का भी बेहद शौक है।