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Lal Krishna Advani, Happy Shivaratri: 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बंद करने की मांग उठी तो देशभर से संघ के कार्यकर्ताओं को जेल में बंद किया गया। 4 फरवरी 1948 को तब संघ प्रचारक रहे लाल कृष्ण आडवाणी भी अपने सहयोगियों के साथ अलवर जेल में बंद हुए थे। अलवर जेल में अपने 3 महीने प्रवास के दौरान आडवाणी शिवरात्रि (Happy Shivratri) का व्रत ना रख कर बहुत पछताए थे। आइए जानें क्या है पूरा मामला:
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जेल में सिर्फ दो वक्त खाना मिलता था। खाने में 3 पतली रोटियां और पानी जैसी दाल मिलती थी। लाल कृष्ण आडवाणी के लिए जेल में खाने को लेकर ही सबसे बड़ी चुनौती थी।
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एक दिन जेलर ने लाल कृष्ण आडवाणी को अपने केबिन में बुलाया और कहा कि, 'कल शिवरात्रि है। जेल में लगभग सभी कैदी उपवास रखेंगे। क्या आप और आपके साथी भी व्रत रखेंगे?' आडवाणी ने कहा कि वह अपने साथियों से बात कर आपको बता देंगे।
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आडवाणी ने अपने दोस्तों से इस बाबत पूछा तो उन्होंने कहा कि जेल में जिस तरह का खाना मिलता है उस हिसाब से तो रोज ही हमारा उपवास चल रहा है तो फिर व्रत किस बात का रखें। उन सबने जेलर को ना बोल दिया।
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अगले दिन सुबह 11 बजे खाने के लिए घंटी बजी तो सिर्फ आडवाणी और उनके दोस्त ही कैंटीन में खाने पहुंचे। शाम को 5 बजे फिर से खाने की घंटी बजी। आडवाणी का गुट ये घंटी सुन चौंक गया क्योंकि खाने का टाइम तो रात 8 बजे होता है।
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एल के आडवाणी और उनके साथी घंटी की आवाज सुन कैंटीन की तरफ पहुंचे तो देखा कि व्रत रखने वाले सारे कैदियों के लिए स्वादिष्ट हलवे का इंतजाम किया गया है। हलवा देख आडवाणी को बहुत पछतावा हुआ कि हम लोगों ने व्रत क्यों नहीं रखा।
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हालांकि हलवा देख आडवाणी अपने दोस्तों के साथ जेलर के पास पहुंचे औऱ उनसे कहा कि हम लोग कल शिवरात्रि का व्रत रखेंगे। जेलर ने कहा कि शिवरात्रि तो आज है, फिर कल क्यों? इसपर आडवाणी के एक दोस्त ने कहा कि जो शैव होते हैं उनके लिए आज है, हम लोग वैष्णव हैं, हमारे लिए कल है।
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जेलर ने ये मजेदार तर्क सुना तो उनकी हंसी छूट गई। उन्होंने आडवाणी से मुस्कुराते हुए कहा कि आप लोगों को हलवा खाना है तो मैं व्यवस्था करवा रहा हूं। इसके लिए उपवास करने की कोई जरूरत नहीं है।
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लाल कृष्ण आडवाणी ने ये पूरा वाकया अपनी बायोग्राफी 'माय कंट्री माय लाइफ' में बयां किया है।
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All Photos: Indian Express Archives
