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इस पेड़ के नीचे से निकलने से कांवड़ होती है खंडित, जानिए क्या है इस यात्रा के नियम

Kanwar Yatra: सावन में शिवभक्त कांवड़ लेकर जल चढ़ाने निकलते हैं। लेकिन बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ का गूलर के पेड़ के नीचे से निकलना अशुभ माना जाता है। चलिए जानते हैं इसके पीछे की वजह।

By: Archana Keshri
July 28, 2024 15:05 IST
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  • Kanwar Yatra
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    सावन का महीना शुरू होते हीं शिवभक्त कावड़िये कांवड़ लेकर शिवलिंग पर जल चढ़ाने निकल पड़े हैं। देशभर में कांवड़ यात्रा को लेकर उत्साह नजर आ रहा है। हजारों की संख्या में लोग कांवड़ यात्रा कर रहे हैं।

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    कहा जाता है कि सावन का महीना और कांवड़ यात्रा दोनों ही भगवान शिव को बहुत प्रिय हैं। हिंदू धर्म में कांवड़ यात्रा को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं।

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    मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि गूलर के पेड़ के नीचे से कांवड़ लेकर निकलने पर कावड़ खंडित हो जाती है। ऐसा होने पर इसका जल भगवान शिव शंकर को चढ़ाने के लायक नहीं बचता है और शिव भक्तों की शिव पूजा अधूरी मानी जाती है।

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    हालांकि, हिंदू धर्मग्रंथों में गूलर के पेड़ को पूजनीय पेड़ माना गया है। इस पेड़ का संबंध  शुक्र ग्रह से है और शुक्र ग्रह यानि शुक्र देवता को महामृत्युंजय मंत्र के उपासक के रूप में माना जाता है।

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    इसके अलावा गूलर के पेड़ का संबंध यक्षराज कुबेर से भी है और कुबेर भगवान शिवजी के मित्र हैं।  भगवान शिवजी की पूजा में जितना महत्व बेलपत्र के पेड़ का रहता है उतना ही महत्व गूलर के पेड़ का रहता है।

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    लेकिन पौराणिक कथाओं के अनुसार, गूलर के फल में असंख्य जीव होते हैं। ये फल अक्सर पेड़ से टूटकर जमीन पर गिर जाते हैं। ऐसे में अगर पेड़ के नीचे से गुजरते समय कावड़िए का पैर इस फल पर पड़ता है तो उन जीवों की मृत्यु हो सकती है।

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    उन जीवों की मृत्यु से कावंड़िए पर हत्या का पाप लगता है और भगवान शिव को चढ़ाने के लिए ले जाया गया जल भी खंडित हो जाता है। यही वजह है कि कांवड़िए को गूलर के पेड़ के नीचे से गुजरने से बचना चाहिए।

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    यदि अगर, कावड़ खंडित हो गई है तो उसे शुद्ध करने के लिए अपनी कावड़ लेकर किसी पवित्र स्थान पर बैठ जाएं और ‘नमः शिवाय’ का 108 बार जाप करके भगवान शिव और गूलर के पेड़ को प्रणाम करें। ऐसा करने से खंडित हुई कावड़ शुद्ध हो जाएगी और कावड़िए की तपस्या में आने वाली बाधाएं भी दूर हो जाएंगी।

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    वहीं, नियमों के अनुसार, कांवड़ यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार का नशा या तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। उनको बिना स्नान किए कावड़ नहीं छूनी चाहिए। साथ ही अपनी कावड़ को चमड़े से स्पर्श भी नहीं होने देना चाहिए।

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    कांवड़ यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार के वाहन का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। यात्रा के दौरान व्यक्ति को अपनी कावड़ चारपाई पर या पेड़ के नीचे नहीं रखनी चाहिए। साथ ही कावड़ को सिर के ऊपर से भी नहीं लेकर जाना चाहिए। (PTI Photos)
    (यह भी पढ़ें: आर माधवन ने मुंबई में खरीदा आलीशान अपार्टमेंट, स्टाम्प ड्यूटी की रकम ही उड़ा देगी आपके होश)

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