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स्वीडन की रक्षा उपकरण बनाने वाली कंपनी साब ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत अपने नए लडाकू एयरक्राफ्ट ग्राइपेन ई को बनाने का प्रस्ताव सरकार को दिया है। साब ने 18 मई को अगली पीढ़ी के जेट ग्राइपेन ई को पेश किया है। गाइपेन ई में पिछले मॉडल्स के मुकाबले वैमानिकी तकनीक में सुधार किया गया है। साब का दावा है कि 21वीं सदी की एयरफोर्स की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसे तैयार किया गया है। हम आपको बताने जा रहे हैं इस जेट से जुड़े 7 तथ्य। (Saab Photo)
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साब का कहना है कि इस विमान में गाइडेड ग्लाइड बम, लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल्स, एंटी शिप मिसाइल्स ले जाने की क्षमता है। इसके साथ ही इस विमान में स्टैंड ऑफ में रहने और तेज हवाई वार करने की क्षमता भी है। (Saab Photo)
कंपनी का दावा है कि विमान की कार्यक्षमता में सुधार किया गया है साथ ही ये विमान ज्यादा मात्रा में हथियार ले जाने में सक्षम है। विमान में ज्यादा ईंधन ले जाने की क्षमता है और पहले की तुलना में इंजन भी अधिक शक्तिशाली है। (Saab Photo) -
ग्राइपेन ई में बेहद तेज सेंसर लगाए गए हैं साथ ही एईएसए रडार, इंफ्रा रेड सर्च एंड ट्रेक, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेर और डाटालिंक टेक्नोलॉजी लगी है। जो पायलेट और कॉ पायलेट तक सारी जरूरी जानाकारी पहुंचाने में मदद करेगी। (Saab Photo)
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सिंगल सीट पर ग्राइपेन ई में 27 एमएम की माउसर बीके27 गन लगाई गई है। जिसकी मदद से हवा से जमीन और समुद्र में वार किया जा सकता है। साथ ही यह गन हवाई पुलिसिंग के काम में भी आ सकती है। (Saab Photo)
ग्राइपेन ई सबसे तेज गति का मेक 2 है। सबसे ऊपरी सीमा पर यह विमान करीब 2,470 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ सकता है। यह विमान 15.2 मीटर लंबा और 8.6 मीटर चौडा है। ग्राइपेन ई की उड़ान भरने लायक सर्वाधिक वजन 16,500 किलोग्राम है। (Saab Photo) -
कंपनी के चेयरमैन जेन विडरसन ने कहा, " ग्राइप्रेन ई का एक खास मॉडल ग्राइपेन एनजी स्वीडिश ग्राहक को ध्यान में रख कर तैयार किया गया है। किसी दूसरे ग्राहक जैसे भारत के लिए विमान का कॉन्फिगरेशन उनसे चर्चा के बाद तय किया जा सकता है। लेकिन हां हम अगली पीढ़ी के विमान ग्राईपेन ई को मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत ऑफर कर रहे हैं साथ ही हम इसकी तकनीक भी साझा करने को तैयार हैं।" (Saab Photo)