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दिवाली के अगले दिन मनाई जाने वाली गोवर्धन पूजा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के कोप से बचाने की कथा याद की जाती है। इसे अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग अर्पित किए जाते हैं। (Photo Source: Pinterest)
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गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। इस दिन लोग अपने घरों और आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाते हैं, जिसकी पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। (Photo Source: Pinterest) -
मान्यता है कि गाय का गोबर पवित्र होता है और यह घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। इसीलिए गोवर्धन पर्वत की आकृति हमेशा गोबर से ही बनाई जाती है। (Photo Source: Pinterest)
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गोवर्धन पूजा के पीछे की कथा
भागवत पुराण के अनुसार, एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने देखा कि ब्रजवासी भगवान इंद्र की पूजा की तैयारी कर रहे हैं। कृष्ण जी ने उनसे कहा कि इंद्र की नहीं, बल्कि गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि वही उन्हें उपजाऊ भूमि, जल, घास और सुरक्षा प्रदान करता है। (Photo Source: Pinterest) -
कृष्ण जी की बात मानकर ग्रामवासी गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। इससे इंद्र देव नाराज हो गए और उन्होंने मूसलाधार वर्षा कर दी। तब श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया और ब्रजवासियों को उसकी छाया में शरण दी। उसी घटना की स्मृति में आज भी यह पर्व मनाया जाता है। (Photo Source: Pinterest)
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गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाने का तरीका
गोबर इकट्ठा करें: सबसे पहले गाय का ताजा गोबर लें और उसे थोड़ी देर खुली हवा में रख दें ताकि उसमें से अतिरिक्त नमी निकल जाए।
आकृति तैयार करें: गोबर को दोनों हाथों से मिलाकर पर्वत के आकार में गूंथें। इसमें छोटी-छोटी पहाड़ियों, झाड़ियों और रास्तों की आकृति बना सकते हैं। (Photo Source: Pinterest) -
सजावट करें: पर्वत के ऊपर पेड़, झाड़ियां, छोटे खिलौनों से बने कृष्ण, गाय, ग्वाल और गोपियों की मूर्तियां रखकर इसे सजाएं।
दीपक जलाएं: शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाकर पर्वत के सामने रखें। दीपक को जलाने से पहले भगवान श्रीकृष्ण का नाम लेकर प्रार्थना करें।
अन्नकूट भोग लगाएं: पूजा के बाद भगवान श्रीकृष्ण को खीर, पूड़ी, सब्जियां, मिठाइयां और अन्य शाकाहारी व्यंजन अर्पित करें। (Photo Source: Pinterest) -
पूजा विधि
गोवर्धन पर्वत की पूजा सुबह या शाम को की जा सकती है। गायों की पूजा करें और उन्हें गुड़-चारा खिलाएं। दीपक जलाकर घर के मुख्य द्वार पर रखें ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे। (Photo Source: Pinterest) -
अगले दिन तक गोवर्धन पर्वत को उसी स्थान पर रखें और बाद में सूखने पर उसका उपयोग हवन आदि में करें। (Photo Source: Pinterest)
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धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
गोबर से बने गोवर्धन पर्वत की पूजा केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी लाभकारी मानी जाती है। गोबर में प्राकृतिक जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो वातावरण को शुद्ध करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाते हैं। (Photo Source: Pinterest)
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