मशहूर शायर फिराक़ गोरखपुरी का आज (28 अगस्त) जन्मदिन है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में जन्मे फिराक़ को बचपन में उर्दू शायरी का शौक लगा। हम आपके लिए लेकर आए हैं उनके कुछ मशहूर शेर। -
फिराक़ गोरखपुरी का असली नाम रघुपति सहाय था। जिस समय उन्होंने शायरी शुरू की, उर्दू शायरी में उनके साथ जोश मलिहाबादी, जिग़र मुरादाबारी, इकबाल जैसे नामचीन शायर पहचान बना चुके थे।
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शायरी के मंझे हुए उस्तादों के बीच फिराक़ ने अपनी अलग पहचान बनाई। फिराक़ आजादी की लड़ाई में भी बराबर शामिल रहे।
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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के अध्यापक रहने के दौरान उन्होंने ''ग़ुल-ए'-नग़मा'' लिखी। इस किताब के लिए उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार भी मिला।
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फिराक़ ताउम्र धर्मनिरपेक्षता को लेकर आवाज बुलंद करते रहे। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने फिराक़ को उनके अंदाज और सोच से प्रभावित होकर राज्य सभा का सदस्य मनोनीत किया था।
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फिराक़ 3 मार्च, 1982 को शायरी की महफिल को वीरान छोड़कर चले गए। मगर उनकी शायरियां आज भी कई महफिलों की शान बढ़ाती हैं।
