बॉलीवुड में पारसी कलाकरों की कमी नहीं है। अक्सर वो अपने कला और प्रदर्शन से दूसरे कलाकारों से अपने आप को अलग पेश करते हैं। वैसे भारत में पारसी समुदाय की संख्या कम है फिर भी बॉलीवुड में पारसी कलाकारों की अधिकता है। हिंदी फिल्मों में इन कलाकरों ने अपने अभिनय और प्रदर्शन से ऐसे मिसाल पेश किए हैं जो और कलाकार नहीं कर पाए हैं। फिल्मों में छोटे किरदार के बावजूद इन कलाकारों ने वाह-वाही लूटी है। ये कुछ कलाकार ऐसे उदाहरण हैं। अमायरा दस्तूर – जो कि बॉलीवुड अभिनेत्री हैं और वो फिल्म 'इश्क' में प्रतीक बब्बर साथ नजर आ चुकी हैं। इसके अलावा वो हाल ही में रिलीज हो चुकी जैकी चैन की फिल्म 'कुंग फू योगा' के सहारे हॉलीवुड में भी धमाल कर चुकी हैं। -
बोमन ईरानी – 40 की उम्र में बॉलीवुड में एंट्री करने वाले बोमन ईरानी फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस, लगे रहो मुन्नाभाई, मैं हूं ना, खोसला का घोंसला, हनीमून ट्रेवल्स प्राइवेट लिमिटेड, 3 इडियट्स, कॉकटेल, और डॉन में अभिनय करके वाहवाही लुट चुके हैं। इसके अलावा वो फिल्म 'बीइंग साइरस', 'शिरीन फरहाद की तो निकल पड़ी' और जॉली एलएलबी में भी काम कर चुके हैं।
अरुणा ईरानी – अरुणा ईरानी को आमतौर पर हिंदी फिल्मों में मां की भूमिका में देखा जाता है। अरुणा ने दिलीप कुमार के साथ 1961 में फिल्म गंगा जमना से बतौर बाल कलाकार अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की। उस वक्त सिर्फ वह 9 साल की थी। तभी दिलीप कुमार उनके एक्टिंग से प्रभावित हुए। अरुणा की एक्टिंग को काफी सराहा गया। वो अब तक 357 फिल्मों में काम कर चुकी हैं। 'थोड़ा रेशम लगता है', 'चढ़ती जवानी मेरी चाल मस्तानी', 'दिलबर दिल से प्यारे', 'मैं शायर तो नहीं' ये उनकी सुपरहिट फिल्मों में से है। डेजी ईरानी – वैसे तो इन्होंने बाल कलाकार के रुप में अपने फिल्मी सफर का आगाज किया था। छोटे और घुंघराले बालों वाली डेजी को अशोक कुमार और मीना कुमारी काफी पंसद करते थे। वो फिल्म 'एक ही रास्ता' में अशोक कुमार और मीना कुमारी के साथ काम कर चुकी हैं। इसके अलावा डेजी फिल्म 'बंदिश', 'भाई-भाई', में अपने कलात्मक प्रदर्शन से दर्शकों के दिल में अपना छाप छोड़ चुकी हैं। हाल ही में 'सब टीवी' ने जीनी और जूजू में अतिथि भूमिका के लिए जानी मानी अभिनेत्री डेजी ईरानी को लिया है। इस धारावाहिक में वो वेल्ली दादी का किरदार निभा रही हैं। साइरस साहूकार – साइरस 18 साल की उम्र में एमटीवी इंडिया के 'एमटीवी वीजे हंट' नामक राष्ट्रव्यापी खोज में ऑडिशन दिया। उन्होंने मिनी माथुर और आसिफ सेठ के साथ इस वीजे हंट को जीता। साइरस को सेमी गिरेबाल और कॉमेडी शोज में एंकर के लिए जाना जाता है। साइरस ने स्कूल के टाइम से ही थिएटर करना शुरू कर दिया था। इसके अलावा उन्होंने कई फिल्मों में छोटे किरदार से काफी नाम कमाया। 'ओम जय जगदीश', 'रंग दे बसंती', 'दिल्ली 6', 'आएशा', 'लव ब्रेकअप्स ज़िन्दगी', 'बॉम्बे टॉकीज' ये उनकी फिल्में थी। होमी अदजानिया – निर्देशक होमी अदजानिया ने अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत 2002 से की थी। उन्होंने 'कॉकटेल', 'फाइंडिग फैनी' जैसी बेहतरीन फिल्मों से अपना नाम कमाया है। अभी हाल में उनकी फिल्म 'एमएस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी' काफी हिट गई है। परसिस खंबाटा – खंबाटा को 1965 में मिस इंडिया के लिए चुना गया था। उनकी मृत्यु 18 अगस्त 1988 को हार्ट अटैक से हो गई थी। खंबाटा ने 1967 में आई फिल्म 'बंबई रात की बाहों में' से बॉलीवुड में एंट्री की थी। खंबाटा को 'दि मोशन पिक्चर' की फिल्म 'स्टार ट्रेक' के लिए 1980 में अकैडमी अवार्ड में नामांकित किया गया था। शम्मी (शम्मी आंटी) – करीब 6 दशक पहले शम्मी ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उनको फिल्मों में काम करना होगा। चिमनकांत गांधी ने शम्मी को पहला ब्रेक दिया था। शम्मी की पहली फिल्म 'उस्दाद पेड्रो', जोकि 1959 में आई थी। फिल्म ‘उस्ताद पेड्रो’ में शम्मी आंटी की लगन और मेहनत को देखकर निर्देशक तारा हरीश ने फिल्म ‘मल्हार’ की नायिका की भूमिका भी शम्मी आंटी को ही दे दी। इसके बाद शम्मी आंटी साल 1952 में दिलीप कुमार और मधुबाला के साथ फिल्म ‘संगदिल’ सहनायिका की भूमिका में नजर आईं। 1950 के दशक में शम्मी आंटी ने ‘बाग़ी’, ‘आग का दरिया’, ‘मुन्ना’, ‘रुखसाना’, ‘पहली झलक’, ‘लगन’, ‘बंदिश’, 'मुसाफ़िरखाना', ‘आज़ाद’ और 'दिल अपना और प्रीत परायी' जैसी कई फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं।
