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मुगल साम्राज्य ने भारतीय संस्कृति पर गहरा प्रभाव डाला, जिसमें एक महत्वपूर्ण योगदान मुगली व्यंजनों का भी रहा। उन्होंने अपने फ़ारसी खानपान और मसालों के साथ स्थानीय स्वाद को मिलाकर कई स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किए, जो आज भारतीय खानपान का हिस्सा बन गए हैं। आइए जानते हैं मुगलों द्वारा भारतीय रसोई में शामिल किए गए कुछ लोकप्रिय व्यंजनों के बारे में:
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चिकन कोरमा
चिकन कोरमा, मूल रूप से फारसी व्यंजन कोरमा से विकसित हुआ है, जिसे मुगलों ने भारत में लाया। अकबर के दरबार में राजपूत रसोइयों ने इसको समृद्ध और मलाईदार बनाने के लिए कई बदलाव किए, जिससे यह एक शाही व्यंजन बन गया। (Photo Soure: Pexels) -
नरगिसी कोफ्ता
नरगिसी कोफ्ता को मुगलों ने भारत में पेश किया, जिसमें फारसी व्यंजनों को अपनाकर मांस के मसालेदार गोले बनाए गए, जिनके बीच में उबले हुए अंडे होते हैं। यह व्यंजन उनकी शाही रसोई में बेहद लोकप्रिय हुआ। (Photo Soure: Pexels) -
मुर्ग मलाई कबाब
मुगलों ने 14वीं शताब्दी के अंत में भारत में कबाब का परिचय दिया। उन्होंने तुर्की व्यंजन को नए रूप में प्रस्तुत किया, जिससे यह बिना हड्डियों वाले चिकन के स्क्वेअर और ग्रिल्ड डिश बन गया, जो आज भी बहुत प्रिय है। (Photo Soure: Pexels) -
मुगलई पराठा
मुगल सम्राट जहांगीर के शासनकाल के दौरान मुगलई पराठा का जन्म हुआ। उनके रसोइए ने पारंपरिक पराठों को एक विशेष मांस और अंडे के मिश्रण से भरकर यह अनोखा व्यंजन तैयार किया। (Photo Soure: Pexels) -
गलौटी कबाब
गलौटी कबाब मुगलों ने नवाब आसफ-उद-दौला के लिए बनाया था। इसे चबाने में नवाब की कठिनाई को दूर करने के लिए बहुत बारीक पिसे हुए मांस और मसालों से तैयार किया गया था। (Photo Soure: Freepik) -
बिरयानी
बिरयानी का परिचय भी मुगलों ने भारत में दिया था। इसे फारसी पुलाव से प्रेरित होकर भारतीय मसालों और चावल के साथ तैयार किया गया। यह धीरे-धीरे शाही भोजन बन गया और अवधी व्यंजन का एक मुख्य हिस्सा बन गया। (Photo Soure: Pexels) -
रोगन जोश
रोगन जोश मुगलों द्वारा भारत के कश्मीर क्षेत्र में लाया गया था। यह फारसी शैली का एक मसालेदार मटन करी है, जिसे स्थानीय कश्मीरी मसालों के साथ मिलाकर एक विशेष व्यंजन बनाया गया। आज यह कश्मीरी खानपान का अहम हिस्सा है। (Photo Soure: Pexels) -
नल्ली निहारी
नल्ली निहारी एक दिलकश नाश्ता स्ट्यू है, जिसे मुगलों ने भारत में पेश किया। यह आमतौर पर नवाबों द्वारा सुबह की नमाज के बाद खाया जाता था, जिसमें धीमी आंच पर पका हुआ मांस और बोन मैरो होता है। (Photo Soure: Freepik)
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