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मथुरा में होली के बाद दाऊजी का हुरंगा मनाया जाता है। इसमें जमकर होली खेलने के साथ ही कोड़े भी मारे जाते हैं। (PTI)
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दाऊजी का हुरंगा मथुरा के बलदेव गांव में खेला जाता है जिसका नाम भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदेव (दाऊ) के नाम पर रखा गया है।
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मान्यताओं के अनुसार, हुरंगा पारंपरिक रूप से भाभियों और देवरों के बीच खेला जाता है।
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मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण यह होली अपने भाई बलदेव की पत्नी रेवती के साथ खेलते थे।
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दाऊजी का हुरंगा त्योहार में पुरुष महिलाओं को पानी से सराबोर करते हैं। वहीं, महिलाएं भी पुरुषों के गीले कपड़े फाड़कर उन्हें कोड़े मारकर इसका बदला लेती हैं।
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कोड़ामार होली में हुरियारिनें ये नहीं देखती कि पिटने वाले जेठ हैं या फिर ससुर हुरंगा में गोपियां गोपों के नंगे बदन पर प्रेम स्वरूप कोड़े बरसाती हैं।
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गोस्वामी श्री कल्याण देवजी के वंशज सेवायत पांडे समाज ही हुरंगा खेलते हैं। हुरंगा खेलने के लिए हुरियारिनें परंपरागत लहंगा-फरिया और आभूषण पहनकर झुंड के साथ मंदिरों में होली के गीत गाते हुए आती हैं।
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मान्यताओं के अनुसार, जब सभी देव ब्रज को छोड़ कर चले गए तब बलदेव वहां के संरक्षक और रक्षक बनकर रुक गए। इसलिए दाऊजी के ब्रज का राजा भी कहा जाता है।