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हिंदू धर्म में तुलसी की पूजा का विशेष महत्व है। इसे माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, और मान्यता है कि जो लोग नियमित रूप से तुलसी की पूजा करते हैं, उनके घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। (Photo Source: Pexels)
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इसलिए, तुलसी की पूजा के दौरान कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है। आइए जानते हैं तुलसी की परिक्रमा करने के नियम और उस दौरान किस मंत्र का जाप करना चाहिए। (Photo Source: Pexels)
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी की पूजा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और शुभ वातावरण बना रहता है। जिस घर में प्रतिदिन तुलसी के नीचे दीपक जलाया जाता है, वहां भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है। (Photo Source: Pexels)
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तुलसी की पूजा में साफ-सफाई और सही मंत्र जाप का विशेष महत्व है। स्नान करने के बाद तुलसी में जल अर्पित करना चाहिए। सुबह के समय तुलसी को जल देना विशेष शुभ माना जाता है। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है और अशुभ ग्रह भी अनुकूल होकर शुभ फल देने लगते हैं। (Photo Source: Pexels)
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तुलसी में जल अर्पण के बाद उसकी परिक्रमा करना आवश्यक है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, तुलसी की कम से कम 3 बार परिक्रमा करनी चाहिए। यह परिक्रमा क्लॉकवाइज़ करनी चाहिए और यदि पर्याप्त स्थान नहीं हो, तो अपनी जगह पर खड़े होकर ही तीन बार घूम सकते हैं। (Photo Source: Pexels)
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परिक्रमा के दौरान साफ वस्त्र पहनना अनिवार्य है, ताकि पूजा में पवित्रता बनी रहे। वहीं, तुलसी की पूजा के दौरान विशेष मंत्र का जाप करना बहुत लाभकारी माना गया है। तुलसी में जल चढ़ाते समय इस मंत्र का उच्चारण करें:
“महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी। आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।” (Photo Source: Pexels) -
इस मंत्र का जाप करते समय ध्यान रखें कि आप श्रद्धा और विश्वास के साथ इसे उच्चारण करें। इस मंत्र का जाप करने से मां लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-शांति व समृद्धि का वास होता है। यह भी माना जाता है कि इस मंत्र के जाप से भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। (Photo Source: Pexels)
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