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प्रकृति में कई तरह के अनोखे फूल पाए जाते हैं, लेकिन उनमें से सबसे रहस्यमयी और चौंकाने वाला फूल है टाइटन एरम जिसे आमतौर पर ‘कॉर्प्स फ्लावर’ कहा जाता है। यह नाम इसे ऐसे ही नहीं मिला, इस फूल से सड़ते मांस या लाश जैसी तीखी बदबू आती है। यही वजह है कि इसे दुनिया का सबसे बदबूदार फूल कहा जाता है। (Photo Source: Pexels)
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कहां पाया जाता है यह अनोखा फूल?
कॉर्प्स फ्लावर इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के घने वर्षावनों में पाया जाता है। यह वहां की आर्द्र जलवायु में स्वाभाविक रूप से पनपता है और अब दुनिया के कई बॉटनिकल गार्डन में भी उगाया जा रहा है। (Photo Source: Unsplash) -
इतना बड़ा और अनोखा फूल!
इसका फूल दुनिया के सबसे ऊंचे फूलों में से एक है, जिसकी ऊंचाई 3 मीटर (10 फीट) तक हो सकती है। इसका पूरा स्ट्रक्चर एक बड़े स्पैडिक्स और उसके चारों ओर घिरी स्पेथ से मिलकर बना होता है, जो मांस जैसी लाल रंग का होता है। (Photo Source: Unsplash) -
क्यों आती है इससे लाश जैसी बदबू?
जब यह फूल खिलता है, तो इसका स्पैडिक्स 37°C तक गर्म हो जाता है, यानी लगभग मानव शरीर के तापमान जितना। इस गर्मी से यह कई तरह की गैसें हवा में छोड़ता है, जिनकी गंध सड़ी हुई मछली, लहसुन जैसी तीखी बदबू, पसीने की गंध, सड़े मांस की बू, गंदे मोजों जैसी होती है। (Photo Source: Pexels) -
यह बदबू कीटों को आकर्षित करने के लिए होती है, खासकर वे कीट जो मांस पर पलते हैं, जैसे कैरियन बीटल और फ्लेश फ्लाई। ये कीट परागण में मदद करते हैं। (Photo Source: Unsplash)
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फूल कितना समय खिलता है?
इसका फूल बहुत दुर्लभ माना जाता है क्योंकि यह 7 से 10 वर्ष में सिर्फ एक बार खिलता है। पूरा खिलना सिर्फ 24–36 घंटे चलता है। इस दौरान दुनिया के लोग इसे लाइव देखने उमड़ पड़ते हैं। -
इसका जीवन चक्र बेहद अनोखा है
कॉर्प्स फ्लावर का जीवन एक विशाल ट्यूबर (कोंद) पर निर्भर होता है जिसका वजन 90–150 किलो तक हो सकता है। एक साल तक पत्ता उगता है, फिर मर जाता है। यह चक्र कई वर्षों तक दोहरता है। जब ट्यूबर पूरी तरह ऊर्जा जमा कर लेता है, तब फूल खिलता है। (Photo Source: Pexels) -
फल और परागण
अगर फूल सफलतापूर्वक परागित हो जाए, तो यह सुंदर लाल रंग के फलों में बदल जाता है जो पक्षियों, खासकर गैंडा हॉर्नबिल, को आकर्षित करते हैं। ये पक्षी इसके बीज दूर-दूर तक फैलाते हैं। (Photo Source: @friendsgeelongbotanicgardens/instagram) -
दुनिया में इसकी लोकप्रियता
1889 में पहली बार लंदन के क्यू के रॉयल बॉटनिक गार्डन में खिलाया गया। 1937 में ये पहली बार अमेरिका में खिलाया। आज दुनिया भर के बॉटनिकल गार्डन में हर साल हजारों लोग इसे देखने जाते हैं। कुछ जगह तो इसे लाइव स्ट्रीम भी किया जाता है क्योंकि इसकी blooming rare होती है। -
खतरे में है इसका अस्तित्व
सुमात्रा के जंगलों में कटाई और जलवायु परिवर्तन के कारण इसकी संख्या कम होती जा रही है। इसलिए कई देश इसे सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं। (Photo Source: Pexels)
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