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अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है। राम भक्तों में मंदिर को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है।
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भगवान राम के दीवाने तो दुनियाभर में मौजूद हैं। लेकिन आज हम एक ऐसे समुदाय के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी राम के प्रति दिवानगी देखने लायक है। हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के रहने वाले एक समुदाय ‘रामनामी’ की।
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इस समुदाय के लोगों के रोम-रोम में भगवान राम का नाम बसता है। राम की भक्ति इनके अंदर ऐसी है कि उनके पूरे शरीर पर ‘राम’ नाम का टैटू गुदा हुआ है।
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जो लोग माथे पर रामनाम गुदवाते हैं, उन्हें ‘सर्वांग रामनामी’ कहा जाता है। वहीं अगर कोई पूरे शरीर पर राम नाम गुदवाते हैं उन्हें ‘नखशिख’ कहा जाता है।
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शरीर के हर अंग पर राम का नाम, शरीर पर रामनामी चादर, मोर पंख की पगड़ी और सिर पर घुंघरू इन रामनामी लोगों की पहचान मानी जाती है।
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रामनामी संप्रदाय के लिए राम का नाम उनकी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेकिन यह समाज कभी मंदिर नहीं जाता और कभी किसी मूर्ति की पूजा नहीं करता है।
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इस समुदाय के लोग इस मनुष्य रूपी शरीर को ही अपना मंदिर मानते हैं। वे लोग लोग अभिवादन भी राम का ना लेकर ही करते हैं। इनके बीच राम नाम गुदवाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है।
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इसके पीछे समाज की एक बड़ी बगावत की कहानियां जुड़ी हुई हैं। बताया जाता है कि एक समय में यहां ऊंची जाति के लोगों ने इस समाज का बहिष्कार करते हुए मंदिरों में प्रवेश बंद कर दिया था।
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इसके बाद विरोध जताते हुए इन लोगों ने भगवान राम के नाम को पूरे शरीर में लिखवा कर विरोध शुरू किया। इस समाज की स्थापना छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर-चांपा के एक छोटे से गांव चारपारा में हुई थी।
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कहा जाता है कि इस समाज की स्थापना 1890 के आसपास एक सतनामी युवक परशुराम ने की थी। हालांकि, कुछ ऊंची जाति के लोगों ने उन्हें सताना शुरू कर दिया। इस पर साल 1912 में परशुराम और उनके अनुयायियों ने ब्रिटिश कोर्ट में अपील की।
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डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने परशुराम के अनुयायियों के हक में फैसला सुनाया और कहा कि ‘राम’ नाम किसी विशेष समूह की संपत्ति नहीं हो सकता है। राम के नाम पर सबका अधिकार है। इसके बाद शरीर पर राम का नाम गुदवाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी।
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इसके बाद इस समुदाय के लोगों के बीच राम नाम का टैटू गुदवाना एक परंपरा और संस्कृति बन गई। अपनी विरासत की रक्षा के लिए इस समाज में नियम है कि बच्चों को 2 साल की उम्र होते-होते अपने सीने पर राम का नाम गुदवाना अनिवार्य है। रामनामी समाज ने अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए कानूनी पंजीकरण भी करवाया है।
(Photos Source: @ramnamicommunity/instagram)
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