(फोटो कैप्शन- चेतन आनंद, उनकी पत्नी उमा और भाई देव आनंद) हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर डायरेक्टर चेतन आनंद की तीन जनवरी को जयंती थी। आज के युवाओं के लिए हो सकता है चेतन आनंद ज्यादा लोकप्रिय नाम नहीं हों, लेकिन हिंदी फिल्मों में उनका योगदान कभी भुलाने लायक नहीं है। न ही वह कभी भूलने लायक शख्सीयत हैं। शबाना आजमी ने एक इंटरव्यू में पिता कैफी आजमी से उनकी दोस्ती को लेकर एक दिलचस्प किस्सा बयां किया। शबाना ने बताया- कैफी आजमी फिल्मों के लिए गाने लिखा करते थे। उनके गाने तो हिट हो रहे थे, पर फिल्में नहीं चल पा रही थीं। ऐसे में इंडस्ट्री में यह बात फैल गई कि कैफी फिल्मों के लिए अनलकी हैं। उन्हें काम मिलना बंद हो गया। एक दिन चेतन आनंद ने कैफी के पास आकर कहा- मैं एक फिल्म बना रहा हूं और चाहता हूं कि आप उसके गाने लिखें। कैफी साहब ने कहा- सब यही कहते हैं कि मैं लिख तो अच्छा सकता हूं, पर मेरे सितारे ठीक नहीं हैं। ऐसे में आप क्यों जोखिम ले रहे हैं। चेतन ने कहा- मेरे बारे में भी तो लोग यही कहते हैं कि मैं फिल्में तो अच्छा बना सकता हूं, पर मेरे सितारे अच्छे नहीं हैं। हो सकता है दो खराब सिताारे मिल कर कुछ अच्छा कर जाएं। इसके बाद हकीकत बनी। और फिल्म व गाने, दोनों कामयाब रहे। -
चेतन आनंद 1921 में तीन जनवरी को लाहौर में जाने-माने वकील किशोरी लाल आनंद के घर जन्मे थे। उनकी मौत 6 जुलाई, 1997 को मुंबई में हुई। उनकी पत्नी उमा आनंद भी एक्ट्रेस थीं। उनके भाई-बहनों के नाम देव आनंद, विजय आनंद, शीला कांता कपूर (शेखर कपूर की मां), मनमोहन आनंद हैं। उनके बेटे केतन आनंद ने भी फिल्म डायरेक्शन की दुनिया में खूब नाम कमाया।
(फोटो कैप्शन- देव आनंद के साथ चेतन आनंद (दाएं से दूसरे) और अन्य) आईसीएस बनना चाहते थे, पर बने टीचर, एक्टर, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर: चेतन ने लाहौर से ग्रेजुएशन किया। इस दौरान वह इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य बन गए। 1930 तक कांग्रेस के सदस्य रहे। इस बीच वह बीबीसी के लिए काम करते रहे। एक स्कूल में पढ़ाया। फिर मुंबई का रुख किया। इससे पहले उन्होंने आईसीएस अफसर बनने के लिए लंदन जाकर परीक्षा भी दी, पर पास नहीं कर सके। (सुरैया के साथ चेतन आनंद- कोट में) ऐसे शुरू हुआ मुंबई का सफर: 1940 के दशक में चेतन आनंद इतिहास पढ़ाया करते थे। इसी दौरान उन्होंने सम्राट अशोक पर स्क्रिप्ट तैयार किया। स्क्रिप्ट लेकर डायरेक्टर फणी मजूमदार के पास पहुंच गए।फणी मजूमदार ने उन्हें अपनी फिल्म 'राजकुमार' में हीरो कास्ट कर लिया। यह फिल्म 1944 में रिलीज हुई। इस दौरान वह इप्टा से जुड़े और बहुत जल्द बतौर डायरेक्टर फिल्मों में आ गए। (फोटो कैप्शन- तस्वीर में फिल्म नीचा नगर का एक सीन। इनसेट में चेतन आनंद) नीचा नगर चेतन आनंद की पहली कामयाब फिल्म थी। इस फिल्म से कामिनी कौशल ने कॅरिअर शुरू किया था। पं. रविशंकर की भी यह पहली फिल्म थी। -
हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार कहे जाने वाले राजेश खन्ना की खोज भी चेतन आनंद ने ही की थी। उन्होंने एक एक्टिंग कंपीटशिन में उन्हें चुना था। बाद में चेतन ने राजेश को अपनी फिल्म आखिरी खत के लिए साइन भी किया था। हालांकि, यह फिल्म बनने में देर हुई और राजेश खन्ना की पहली रिलीज होने वाली फिल्म नहीं बन सकी।
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पारिवारिक मतभेद: चेतन आनंद का परिवार में पत्नी, भाई सबसे मतभेद हुआ। भाइयों से मतभेद हुआ तो उन्होंने अपनी अलग फिल्म कंपनी बनाई। फिल्म गाइड में रोजी के कैरेक्टर को लेकर मतभेद के चलते चेतन आनंद ने इसका डायरेक्शन नहीं किया। पत्नी उमा से मतभेद होने पर वह उनसे भी अलग हो गए। इसके बाद प्रिया राजवंश के साथ उनका लंबा संबंध रहा।
बाद में भाइयों से राह अलग करते हुए चेतन ने अपनी फिल्म कंपनी हिमालया फिल्म्स बनाई। फोटोग्राफर जल मिस्त्री, म्यूजिक डायरेक्टर मदन मोहन, लिरिक राइटर कैफी आजमी और एक्ट्रेस प्रिया राजवंश को उन्होंने अपने साथ जोड़ा। हकीकत, हीर रांझा, हंसते जख्म, हिंदुस्तान की कसम जैसी कई नामी फिल्में बनाईं। (फोटो कैप्शन- देव आनंद और सुरैया) 1950 के दशक में चेतन के भाई देव आनंद भी नाम कमाने लगे। विजय आनंद भी फिल्मों की ओर कदम बढ़ा रहे थे। तब तीनों ने मिल कर फिल्म निर्माण कंपनी खोल ली। चेतन के बेटे केतन के नाम पर कंपनी का नाम नवकेतन रखा गया। नवकेतन ने देवानंद और सुरैया को लेकर 'अफसर' बनाई। यह बहुत ज्यादा कामयाब नहीं हुई, पर पिटी भी नहीं। इसके बाद टैक्सी ड्राइवर, आंधियां आदि कई फिल्मों का निर्देशन भी चेतन आनंद ने किया।