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आज की आधुनिक दुनिया में तकनीक ने इंसानों की कई समस्याओं का हल निकाल दिया है। अपराध की गुत्थियों को सुलझाने के लिए भी कई तरह की वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। (Photo Source: Freepik)
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मेडिकल साइंस और तकनीक की प्रगति ने इंसानों के व्यवहार और उनके सच या झूठ बोलने की प्रवृत्ति को परखने के लिए कई प्रकार की जांच पद्धतियों को जन्म दिया है। इन्हीं में से एक है पॉलीग्राफ टेस्ट, जिसे आमतौर पर लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कहा जाता है। इस टेस्ट का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना होता है कि कोई व्यक्ति सच बोल रहा है या झूठ। (Photo Source: Freepik)
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पॉलीग्राफ टेस्ट कैसे काम करता है?
पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए एक विशेष प्रकार की मशीन का उपयोग किया जाता है, जो दिखने में ECG मशीन जैसी होती है। यह मशीन व्यक्ति की शारीरिक प्रतिक्रियाओं को रिकॉर्ड करती है, जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि वह सत्य बोल रहा है या असत्य। (Photo Source: Freepik) -
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जब कोई व्यक्ति झूठ बोलता है, तो उसके शरीर में कुछ खास बदलाव देखने को मिलते हैं, जैसे – दिल की धड़कन का तेज होना, रक्तचाप में बदलाव, सांस लेने की गति का बदलना और पसीना आना। (Photo Source: Freepik)
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पॉलीग्राफ मशीन इन सभी शारीरिक गतिविधियों को रिकॉर्ड करती है। टेस्ट के दौरान व्यक्ति से कई प्रश्न पूछे जाते हैं, जिनके उत्तर देने के दौरान उसके शरीर की प्रतिक्रियाओं को मापा जाता है। (Photo Source: Freepik)
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पॉलीग्राफ टेस्ट में कौन-कौन से उपकरण शामिल होते हैं?
इस टेस्ट में विभिन्न प्रकार के सेंसर और उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जैसे:
कार्डियो-कफ: यह व्यक्ति के रक्तचाप और हृदयगति को मापता है।
सेंसिटिव इलेक्ट्रोड: यह व्यक्ति की त्वचा पर लगाए जाते हैं और शरीर की न्यूरोलॉजिकल गतिविधियों को रिकॉर्ड करते हैं।
श्वसन सेंसर: यह व्यक्ति की सांस लेने की दर और पैटर्न को ट्रैक करता है। (Photo Source: Freepik) -
क्या कोर्ट में मान्य है पॉलीग्राफ टेस्ट की रिपोर्ट?
कई कारणों से पॉलीग्राफ टेस्ट को पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं माना जाता। वैज्ञानिकों के अनुसार, एक व्यक्ति मानसिक तनाव या अन्य किसी कारण से भी उपरोक्त शारीरिक बदलाव दिखा सकता है, जिससे गलत परिणाम आ सकते हैं। इसलिए, भारतीय न्यायपालिका किसी भी कानूनी कार्यवाही में पॉलीग्राफ टेस्ट की रिपोर्ट को एकमात्र प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं करती। (Photo Source: Freepik) -
क्या पॉलीग्राफ टेस्ट जबरदस्ती कराया जा सकता है?
भारतीय कानून के अनुसार, किसी भी व्यक्ति पर जबरदस्ती पॉलीग्राफ टेस्ट नहीं किया जा सकता। यह परीक्षण केवल व्यक्ति की सहमति से ही किया जा सकता है। सुरक्षा एजेंसियों को भी इस नियम का पालन करना पड़ता है। (Photo Source: Freepik) -
पॉलीग्राफ टेस्ट के फायदे और सीमाएं
फायदे:
संदिग्ध व्यक्ति की मानसिक स्थिति को समझने में मदद करता है। अपराध की जांच में उपयोगी हो सकता है। व्यक्ति की भावनात्मक प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण किया जा सकता है।
सीमाएं:
हमेशा सटीक परिणाम नहीं देता। कुछ लोग मानसिक नियंत्रण से मशीन को धोखा दे सकते हैं। कोर्ट में इसके नतीजों को साक्ष्य के रूप में नहीं माना जाता। (Photo Source: Freepik)
