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दिल्ली में एक प्लेन हादसे में मारे गए बीएसएफ कर्मियों को श्रद्धांजलि देने बुधवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह पहुंचे। यहां मारे गए लोगों के घरवालों ने राजनाथ से न केवल कड़े सवाल पूछे, बल्कि उन्होंने मांग की कि बीएसएफ के बेड़े से पुराने प्लेनों को बदला जाए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हो। एक टीवी रिपोर्ट के मुताबिक, मारे गए लोगों में से किसी की एक रिश्तेदार ने कहा, ''सर, हर बार एक सैनिक के घरवालों को ही क्यों रोना पड़ता है? क्यों सर? ऐसा किसी वीआईपी प्लेन के साथ क्यों नहीं हुआ? उन्हें इतना पुराना प्लेन क्यों दिया गया? यह एक पुराना प्लेन था। यह सही नहीं है सर। मुझे जवाब दीजिए। नहीं, मुझे अभी जवाब चाहिए। '' (Source: Express Photo by Tashi Tobgyal)
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मारे गए लोगों के घरवालों को सांत्वना देते राजनाथ सिंह।
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प्लेन टेक्नीशियंस की एक टीम को पालम एयरपोर्ट से रांची ले जा रहा था। वहां इस टीम को एक Mi-17 V5 हेलिकॉप्टर की मरम्मत करनी थी। जिस प्लेन के साथ हादसा हुआ, उसे फोर्स में 1995 में शामिल किया गया था। यह वही प्लेन था, जिससे रण में हुए डीजी कॉन्फ्रेंस में हुए अधिकारियों को लाया और ले जाया गया था।
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मारे गए लोगों को आखिरी श्रद्धांजलि देते राजनाथ सिंह।
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हादसे के शिकार हुए प्लेन को नियमित तौर पर वीआईपी इस्तेमाल करते थे। इसे इस्तेमाल करने वालों में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू भी शामिल थे। बीएसएफ से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, प्लेन का आखिरी बार ओवरहॉलिंग छह महीने पहले हुई थी।
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हादसे में मारे गए सैनिकों को श्रद्धांजलि देने किरन रिजीजू के अलावा दिल्ली के एलजी नजीब जंग भी पहुंचे। श्रद्धांजलि सभा का आयोजन दिल्ली के सफदरजंग एयरपोर्ट पर हुआ।
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बी 200 सुपर किंग प्लेन मंगलवार को दिल्ली एयरपोर्ट के नजदीक एक बाउंड्री वॉल में क्रैश कर गया था। इस हादसे में 9 बीएसएफ जबकि सशस्त्र सीमा बल के एक कर्मी मारा गया। प्लेन रांची जा रहा था। बीएसएफ के डीजी डीके पाठक ने कहा, ''सरकार की ओर से दिए गए 10 लाख रुपए के अलावा बीएसएफ के इंटरनल फंड से 15 लाख रुपए दिए जाएंगे।''
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हादसे में मारे गए लोगों के घरवाले।
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मारे गए नौ बीएसएफ कर्मियों में से दो हरियाणा से थे। तीन यूपी, एक बिहार जबकि बाकी दो पंजाब और ओडिशा से थे। सभी दिल्ली में रह रहे थे।
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हादसे के कुछ मिनटों बाद ही फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंच गई थी। मौके पर मौजूद एक पुलिसवाले ने बताया, ''आग की बेहद ऊंचीं लपटें उठ रही थीं। प्लेन के मलबे के नजदीक जाना मुमकिन नहीं था। लोग अंदर जल रहे थे, लेकिन हम असहाय थे। हम कुछ नहीं कर पाए। लपटों के काबू में आने के बाद ही हम क्रैश साइट के नजदीक पहुंच जाए।''
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फायर ब्रिगेड को आग को काबू करने में दो घंटे लग गए। जब शवों को निकालने की बारी आई तो वे बुरी तरह जल चुके थे।
