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राजा का बेटा ही राजा बनेगा, ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में कुछ ऐसा ही वाक्य देखने को मिला है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस. आर. बोम्मई के बेटे बसवराज बोम्मई को कर्नाटक का नया मुख्यमंत्री बनाया गया है। बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफा के बाद बीजेपी के विधायक दल ने उन्हें अपना नेता चुन लिया। बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद जिस तरह से लिंगायत समुदाय के लोगों ने विरोध किया उससे ये साफ लग रहा था कि अगला मुख्यमंत्री भी लिंगायत समुदाय से ही होगा। कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी लिंगायत समुदाय से आते हैं। आज हम आपको बसवराज बोम्मई के सियासी सफर के बारे में बताएंगे। तस्वीरों में देखें उनका सियासी सफर। (Image: ANI)
बसवराज बोम्मई जनता दल के साथ अपने सियासी सफर की शुरूआत की थी। साल 2008 में बोम्मई भाजपा में शामिल हुए थे। (Image: Basavaraj Bommai Twitter) -
बसवराज बोम्मई अभी तक राज्य के गृह मंत्री के साथ साथ संसदीय कार्य मंत्री और कानून मंत्री का पदभार संभाल रहे थे। (Image: PTI)
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बोम्मई पेशे से एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत टाटा ग्रुप से की थी। (Image: PTI)
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बोम्मई दो बार एमएलसी और तीन बार विधायक रहे हैं। बोम्मई ने कई बड़े नेताओं के साथ काम किया है। उन्हें एचडी देवेगौड़ा और रामकृष्ण हेगड़े जैसे नेताओं के साथ काम करने का अनुभव है। (Image: PTI)
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बसवराज बोम्मई के पिता एस. आर. बोम्मई भी साल 1988 में ऐसी ही कुछ परिस्थियों में मुख्यमंत्री बनाए गए। उन्हें मुख्यमंत्री तब बनाया गया था जब रामकृष्ण हेगड़े की सरकार जासूसी के आरोप में घिर गई, जिसके बाद हेगड़े को इस्तीफा देना पड़ा था। (Image: PTI)
