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देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी अब नहीं रहे। पिछले 2 माह से एम्स में भर्ती वाजपेयी का गुरुवार(16 अगस्त) को दिल्ली स्थित एम्स में निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे। उनका 11 जून से एम्स में इलाज चल रहा था। 15 अगस्त से उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। उनकी हालत बुधवार रात से ही काफी नाजुक हो गई थी। प्रधानमंत्री मोदी समेत देश के कई वरिष्ठ नेता और मंत्री भी वाजपेयी का हाल-चाल जानने एम्स पहुंचे थे। वाजपेयी को 2014 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।वाजपेयी 3 बार प्रधानमंत्री रहे। वह पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बने और उनकी सरकार सिर्फ 13 दिनों तक ही चल पाई थी। 1998 में वह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, तब उनकी सरकार 13 महीनों तक चली थी। 1999 में वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किए। हालांकि तब समय से पूर्व चुनाव का फैसला लिया था। इस चुनाव में उनके नेतृत्व में एनडीए को हार का सामना करना पड़ा। जहां भले ही दुनिया के लिए 13 नंबर अनलकी हो, मगर वाजपेयी के जीवन में यह नंबर खास अहमियत रखता था। (All Photos-PTI)
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वाजपेयी डॉ मुखर्जी के निजी सहायक बनकर कश्मीर में आंदोलन करने जाना चाहते थे
दिलचस्प ये है कि 13 महीने बाद ही फिर वह जीतकर सत्ता में आए। 19 मार्च 1998 को फिर पीएम बनकर लौटे और 22 मई 2004 तक रहे थे। -
उनके राजनीतिक जीवन में 13 नंबर से जुड़ा एक और वाकया है। दरअसल, जब तीसरी बार अटल बिहारी प्रधानमंत्री बनकर लौटे तो उन्होंने 13 दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई। इस बार उन्होंने शपथ ग्रहण के लिए जो तारीख चुना, वह थी 13 अक्टूबर 1999 ।
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तीसरी बार जब अटल जी शपथ लेने के लिए जा रहे थे तब उनके करीबियों ने कहा कि 13 नंबर आपके लिए ठीक नहीं है लेकिन उन्होंने इस सोच को दरकिनार किया और 13 अक्टूबर को ही शपथ ली। किस्मत से तीसरी बार उनकी सरकार ने कार्यकाल पूरा किया। जबकि 2004 के चुनाव में 13 मई की वोटिंग में बीजेपी को सत्ता गंवानी पड़ी थी। इस चुनाव में वाजपेयी ने 13 अप्रैल को नामांकन दाखिल किया था।
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अटल बिहारी के बारे में यह भी कहा जाता है कि वह कई बार होटलों में भी 13 वीं मंजिल या रुम नंबर 13 लेते थे।
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लोग भले ही 13 नंबर को अशुभ मानते हों लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी अपने लिए इस नंबर को लकी मानते थे। उनका इस नंबर से मानो कुछ खास कनेक्शन सा बन गया था।
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अटल के जाने से देश के तमाम नेताओं को झटका लगा है। खास तौर से उनके शिष्य पीएम मोदी को।
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इफ्तार पार्टी में अटल बिहारी। वह मुस्लिमों के बीच काफी लोकप्रिय थे।
