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अपने किरदारों में जिंदा रहने वाले दादामुनी अशोक कुमार आज ही के दिन इस दुनिया में आए। अपने अभिनय से इंडस्ट्री में एक खास जगह बनाने वाले अशोक कुमार ने भाई किशोर कुमार की मृत्यु के बाद अपना जन्मदिन मनाना बंद कर दिया था। बता दें कि किशोर कुमार की मृत्यु 13 अक्टूबर 1987 को हुई थी। उस वक्त अशोक कुमार 76 साल के थे। अशोक से किशोर से 18 साल बड़े थे। वह अपने छोटे भाई को बहुत चाहते थे।
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एक बेहतरीन एक्टर के अलावा अशोक कुमार एक पेंटर भी थे। लेकिन अशोक कुमार के इस टैलेंट को उतनी पहचान नहीं मिली जितनी मिलनी चाहिए थी।
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एक बार अशोक कुमार की फिल्म के लिए देव आनंद ने ब्लैक में टिकट ली थी।
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एक्टर बनने से पहले लैब असिस्टेंट थे अशोक कुमार। अशोक कुमार के फिल्म जीवन नैय्या में अचानक ही मौका मिल गया था। अशोक से पहले डायरेक्टर ने फिल्म में नजम-उल-हसन और देविका रानी को चुना था। लेकिन दोनों प्रोजेक्ट छोड़ कर भाग गए थे। ऐसे हालात में डायरेक्टर ने अपने गुड लुकिंग लैब असिस्टेंट को फिल्म में हीरो बनाने का फैसला किया। बाद में देविका रानी वापस आईं और शूटिंग पूरी की। देविका रानी के साथ फिल्म अछूत कन्या ने अशोक कुमार को ज्यादा पहचान दिलाई।
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अशोक कुमार का असली नाम कुमुदलाल गांगुली था।
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अशोक कुमार अपने साथ काम करने वाले आर्टिस्ट्स की इतनी मदद करते थे कि एक बार उन्होंने अपनी लाइन्स भूलने की एक्टिंग भी की थी। ऐसा इसलिए किया था क्योंकि उनके साथ काम कर रही एक्ट्रेस काफी नर्वस थीं। उन्हें नॉर्मल फील करवाने के लिए अशोर कुमार ने इस तरह उनकी मदद की थी।
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अशोक कुमार ने कभी अपने स्टारडम को अपने सिर पर नहीं चढ़ने दिया। उन्होंने कभी कोई वाहवाही नहीं लूटी। एक बार जब उनकी बेटी ने उन्हें पद्म भूषण अवॉर्ड मिलने पर बधाई दी तो उन्होंने कहा, कौनसा बड़ा शेर मार लिया।
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अशोक कुमार की छोटी बेटी प्रीती गांगुली ने ही फिल्मों में अपना करियर बनाने की कोशिश की थी। प्रीती ने 70 के दशक में कई फिल्मों में बतौर कॉमीडियन काम किया। साल 2012 में उनकी मृत्यु हुई थी।
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अशोक कुमार की फिल्म किस्मत 3 साल तक मुंबई के रॉक्सी थिएटर में लगी थी। इसके बाद शोले ने 32 साल बाद इस फिल्म का रिकॉर्ड तोड़ा था।
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अशोक कुमार एक्टिंग और पेंटिंग के अलावा होमियोपैथी भी जानते थे।