रेप के आरोपी आसाराम बापू के फैसले को लेकर आज देश के तीन राज्य राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में कड़ी सुरक्षा है। इन्हीं तीन राज्यों में आसाराम के समर्थक ज्यादा हैं। फैसला आ गया है, जिसमें आसाराम सहित 4 अन्य आरोपियों को दोषी ठहराया गया है। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अदालत के विशेष न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा ने जोधपुर सेंट्रल जेल परिसर में यह फैसला सुनाया। फैसले पर विस्तृत जानकारी आना अभी बाकी है। आसाराम और चार अन्य सह-आरोपियों शिव, शिल्पी, शरद और प्रकाश के खिलाफ पॉक्सो के तहत 6 नवंबर 2013 को पुलिस ने आरोपपत्र दायर किया था। यहां हम आपको आसाराम की जिंदगी के बारे में बता रहे हैं कि आखिर उसने इतने लोगों को कैसे अपना अनुयायी बनाया और कैसे आध्यात्मिकता की आड़ में ऐसे धंधे करता रहा। (Photo Source-PTI) भारत में आसाराम के करोड़ों भक्त हैं, लेकिन उसका जन्म 1941 में पाकिस्तान के सिंध इलाके में हुआ था। विभाजन के बाद आसाराम का परिवार अहमदाबाद में आकर बस गया था। (Photo Source-PTI) पिता के निधन के बाद, आसाराम ने अपनी मां से ध्यान और अध्यात्म की शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद 20 साल की उम्र में आसाराम ने घर छोड़ दिया और देश भ्रमण पर निकल पड़ा। भ्रमण करते-करते आसाराम स्वामी लीलाशाह के आश्रम नैनीताल चला गया। लीलाशाह को आसाराम ने अपना गुरु बनाया। (Photo Source-PTI) आसाराम का असली नाम असुमल हरपलानी है। गुरु के सानिध्य में आने के बाद उन्होंने ही असुमल को आसाराम नाम दे दिया। आसाराम ने अपना पहला आश्रम 1971 में अहमदाबाद के पास साबरमती नदी के तट पर मुटेरा कस्बे में शुरू किया था। वहां वह महज 10 अनुयायियों को उपदेश दिया करता था। धीरे-धीरे इलाके के लोग आसाराम के पास आने लगे और उसकी ख्याति फैलने लगी। 400 आश्रम और 4 करोड़ अनुयायी होने का दावा करने वाले आसाराम के आगे देश के तमाम नेता भी नतमस्तक होने लगे थे। नेताओं के आसाराम से मिलने की वजह थी उसके अनुयायियों की भारी संख्या। यही वजह थी कि नेता अपने वोट बैंक के लालच में आसाराम के आगे झुकने लगे थे। कई बार नेता उसके उपदेश देने के दौरान भी दिखाई दिए। -
अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी और वरुण गांधी जैसे नेता भी आसाराम को एक अच्छा संत मानने लगे थे।
आसाराम के आश्रम में पीएम मोदी भी पहुंचे थे। -
एक समय पीएम मोदी ने आसाराम के पैर भी छुए हैं।
गोविंदा जैसे बॉलीवुड स्टार्स भी आसाराम से मिलने उसके आश्रम जाने लगे। धीरे-धीरे वह देश और दुनिया में लोकप्रिय होता गया। एक बार गोविंदा ने आसाराम की काफी तारीफ भी की थी। -
लेकिन आध्यात्मिकता की आड़ में आसाराम ने धीरे-धीरे युवतियों को भी अपने आश्रम में लेना शुरू कर दिया। बता दें कि रेप के मामले से पहले भी आसाराम का नाम कई बार विवादों में उछला। साल 2008 में मोटेरा में आसाराम के आश्रम के पास साबरमती नदी के तट से दो बच्चों के शव बरामद हुए थे। जांच में यह पाया गया कि दोनों शवों से महत्वपूर्ण अंग गायब थे। गुजरात पुलिस ने इस मामले में 2009 में आसाराम के सात अनुयायियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
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इसके बाद 2013 में एक नाबालिग पीड़िता ने आसाराम पर रेप का आरोप लगाया। पीड़िता के मुताबिक, आसाराम ने जोधपुर के नजदीक मनाई इलाके में आश्रम में बुलाने और 15 अगस्त 2013 की रात उसके साथ बलात्कार किया। आपको बता दें कि आसाराम मामले में अंतिम सुनवाई एससी/एसटी मामलों की विशेष अदालत में सात अप्रैल को पूरी हो गई थी और फैसला 25 अप्रैल तक के लिए सुरक्षित रखा गया था। आसाराम को इंदौर से गिरफ्तार कर एक सितंबर 2013 को जोधपुर लाया गया था और दो सितंबर 2013 से वह जेल में ही है। इसके अलावा आसाराम पर गुजरात के सूरत में भी बलात्कार का एक मामला चल रहा है, जिसमें उच्चतम न्यायालय ने अभियोजन पक्ष को पांच सप्ताह के भीतर सुनवायी पूरी करने का निर्देश दिया था। आसाराम ने 12 बार जमानत याचिका दायर की, जिसे छह बार निचली अदालत ने, तीन बार राजस्थान उच्च न्यायालय और तीन बार उच्चतम न्यायालय ने खारिज किया।