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UP Elections: यूपी के विधानसभा चुनावों में तमाम राजनीतिक दल नारों के जरिये भी एक दूसरे पर निशाना साधते हैं। पार्टियां नारों के जरिये लोगों तक अपने संदेश और एजेंडे को पहुंचाने की कोशिश करती हैं। आइए डालते हैं यूपी चुनाव के कुछ चर्चित राजनीतिक नारों पर एक नजर:
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1993 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांशीराम ने बसपा के लिये नारा दिया था- तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार। इसके साथ ही उस चुनाव में ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ और ‘वोट हमारा, राज तुम्हारा, नहीं चलेगा, नहीं चलेगा’ भी खूब चर्चा में रहे थे।
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1991 विधानसभा चुनाव में बीजेपी का नारा था ‘राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’।
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1993 के चुनाव में बसपा और सपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। तब इस गठबंधन का नारा ‘मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्री राम’ भी जनता के बीच काफी लोकप्रिय हुआ था।
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साल 2007 के चुनाव में बसपा का नारा था – चढ़ गुंडन की छाती पर, मुहर लगेगी हाथी पर। इस नारे के साथ मायावती पूर्ण बहुमत से पहली बार सीएम बनी थीं।
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साल 2012 में अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा की सरकार बनी थी। तब सपा का नारा था- जिसका जलवा कायम है, उसका नाम मुलायम है।
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साल 2017 के चुनाव में बीजेपी के नारा था – न गुंडाराज न भ्रष्टाचार, अबकी बार भाजपा सरकार। इस नारे के साथ बीजेपी लंबे समय बाद सत्ता में लौटी थी।
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2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का नारा है- जो राम को लाए हैं हम उनको लाएंगे। वहीं सपा ने नारा दिया है – देखो बाबा जी का खेल हर क्षेत्र में हो गए फेल। इस चुनाव में सपा का एक और नारा चर्चा में रहा है। ये नारा है- कृष्णा कृष्णा हरे हरे, अखिलेश भैया घरे घरे। वहीं कांग्रेस का नारा है लड़की हूं, लड़ सकती हूं।