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यूं तो देश में हर दिन ही हत्याओं की खबरें आती हैं लेकिन कुछ केस ऐसे सुनने को मिलते हैं जिस पर यकीन कर पाना मुश्किल होता है। इस तरह के मामले मीडिया में तो लंबे समय तक सुर्खियों में रहते ही हैं साथ ही आम लोगों के दिमाग को भी झकझोर कर रख देते हैं। क्राइम ब्रांच के आकड़ों पर गौर करें तो देश में हर दिन हजारों कत्ल के मामले सामने आते हैं लेकिन इनमें से कुछ इतने ज्यादा हाइलाइट होते हैं जिनका शायद कभी अंत ही न हो। इस तरह के केस इतिहास के पन्नों पर भी हमेशा मौजूद रहते हैं। इनमें से तमाम मर्डर केसों पर फिल्में भी बन चुकी हैं। यहां हम देश के उन मर्डर केसों के बारे में बात कर रहे हैं जिनके सनसनीखेज खुलासे सुनकर हर कोई दंग रह गया।
साल 2012 में शीना बोरा नाम की लड़की हत्या का आरोप उसकी अपनी मां इंद्राणी मुखर्जी और सौतेले पिता मीडिया हस्ती से ताल्लुख रखने वाले पीटर मुखर्जी पर है। शीना की हत्या का खुलासा उसकी मौत के तीन साल हुआ और इसके बाद जांच की गई। फिलहाल इंद्राणी मुखर्जी और पीटर दोनों जेल में हैं। सुनंदा पुष्कर मर्डर केसः17 जनवरी 2014 को कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत का केस अब भी चल रहा है। सुनंदा का शव दिल्ली के एक होटल में पाया गया था। इस हाईप्रोफाइल मर्डर केस ने पूरे देश को हैरान कर दिया था। निठारी कांडः निठारी नाम सुनते ही हर किसी के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। नोएडा पुलिस ने निठारी में कोठी नंबर डी-5 के पास से 19 लोगों की खोपड़ियां और हड्डियां बरामद कीं, जिनमें से अधिकांश बच्चों की थीं। पुलिस ने जब जांच की तो पता चला कि कोठी में रहने वाला मुनिंदर सिंह पंढेर का नौकर सुरिंदर कोली नरभक्षी था और उसी ने इस घटना को अंजाम दिया था। अदालत ने सुरिंदर कोली को फांसी की सजा सुनाई है। इस मामले में कोठी का मालिक मुनिंदर सिंह पंढेर भी आरोपी है। इस घटना का केस अब तक खत्म नहीं हुआ है। प्रियदर्शिनी मट्टू मर्डर केसः दिल्ली यूनिवर्सिटी की लॉ स्टूडेंट प्रियदर्शिनी मट्टू की हत्या भी लंबे समय तक चर्चा का विषय रही। प्रियदर्शनी का शव 23 जनवरी 1996 में दिल्ली स्थित उनके चाचा के घर में मृत अवस्था में पाया गया था। सबूतों के अभाव के चलते साल 1999 में प्रियदर्शनी के कातिल और कॉलेज के सीनियर संतोष कुमार सिंह को बरी कर दिया गया था। हालांकि बाद में यह केस फिर से खुला और 2006 में संतोष कुमार को फांसी की सजा सुनाई गई। चार साल बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो इस सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया। -
शिवानी भटनागर मर्डर केसः मशहूर पत्रकार शिवानी भटनागर की हत्या 23 जनवरी 1999 को उनके घर में कर दी गई थी। 9 साल बाद कोर्ट ने इस मामले पर 18 मार्च 2008 को फैसला सुनाते हुए पूर्व आईपीएस अधिकारी रविकांत शर्मा सहित अन्य 3 को आईपीसी की अलग-अलग धाराओं के तहत दोषी करार दिया था। साल 2011 में दिल्ली हाई कोर्ट ने रविकांत शर्मा और अन्य दो आरोपियों को बरी कर दिया लेकिन एक को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
तंदूर केसः नैना साहनी की हत्या साल 1995 में के उनके ही पति सुनील शर्मा ने की थी। इस मामले में हत्यारे पति ने अपनी पत्नी के शरीर के टुकड़े-टुकड़े करके तंदूर में डाल दिए थे। ट्रायल कोर्ट ने सुशील को फांसी की सजा सुनाई थी जिसे हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनील को उम्रकैद की सजा सुनाई। -
जेसिका लाल मर्डर केसः साल 1999 में जेसिका लाल हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। जेसिका की हत्या दिल्ली के एक बार में मनु शर्मा ने की थी। मनु शर्मा हरियाणा के जाने-माने नेता विनोद शर्मा का बेटा है। हत्या में सबूतों के अभाव के चलते मनु शर्मा को पहले तो कोर्ट से रिहाई मिली थी लेकिन बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो हत्यारे को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।